असलहो की चेकिंग के लिए बुजुर्ग को मारी थी गोली…NIA कोर्ट ने 2 आतंकियों को सुनाई फांसी की सजा
Uttar Pradesh News : लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में 2017 मारे गए ISIS आतंकी सैफुल्लाह के दो साथियों (आतिफ मुजफ्फर और फैसल) की सजा पर…
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Uttar Pradesh News : लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में 2017 मारे गए ISIS आतंकी सैफुल्लाह के दो साथियों (आतिफ मुजफ्फर और फैसल) की सजा पर लखनऊ की एनआईए स्पेशल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. एनआईए स्पेशल कोर्ट ने दोनों ही आरोपियों को कानपुर के रिटायर्ड प्रिंसिपल रमेश बाबू शुक्ला हत्याकांड में फांसी की सजा दी है. साथ ही 5-5 लाख का जुर्माना भी लगाया है, जो धनराशि रमेश बाबू शुक्ला के परिवार को दी जाएगी.
बता दें कि दोनों आतंकी लखनऊ के ठाकुरगंज इलाके में मारे गए ISIS आतंकी सैफुल्लाह के साथी हैं. सैफुल्लाह को मार्च 2017 में एक एनकाउंटर में ढेर किया गया था. अब उसके दोनों साथियों मुजफ्फर और फैसल को फांसी की सजा हुई है.
कलावा देखकर बुजुर्ग को मारी थी गोली
मालूम हो कि कानपुर में रिटायर्ड स्कूल प्रिंसिपल रमेश बाबू शुक्ला की 24 अक्टूबर 2016 को गोली मारकर हत्या हुई थी. सैफुल्लाह, मुजफ्फर और फैसल ने कानपुर के चकेरी इलाके में साइकिल से घर जा रहे रमेश बाबू की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी. टारगेट के हाथ में कलावा देखकर आतंकियों ने रमेश बाबू को निशाना बनाया था. वो अपने नए असलहो की चेकिंग करना चाहते थे.
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परिवार ने जताई खुशी
कानपुर के जाजमऊ इलाके में स्वामी आत्म प्रकाश ब्रह्मचारी जूनियर हाई स्कूल के रिटायर्ड प्रिंसिपल रमेश बाबू शुक्ला के हत्यारे को एनआईए स्पेशल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई तो उनकी पत्नी मीना शुक्ला की आंखों में आंसू आ गए. मीना शुक्ला आज भी 24 अक्टूबर 2016 की तारीख को याद कर बिलख उठती हैं, जब दिन में 12:30 बजे रमेश बाबू शुक्ला के पढ़ाए हुए एक बच्चे ने ही अपनी बहन के जरिए परिवार को हत्या की सूचना पहुंचाई थी. बेटा अक्षय कॉलेज में बीटीसी की पढ़ाई कर रहा था. रमेश बाबू शुक्ला की पत्नी मीना शुक्ला और उनके बेटे अक्षय शुक्ला ने यूपीतक से बातचीत में अपना दर्द बयां किया.
यूपी तक से बात करते हुए परिवार ने कहा कि, ‘शुरुआत के कुछ महीने तो समझ ही नहीं आया कि आखिर किसने ऐसे शख्स की हत्या कर दी जिसे लोग गुरुजी कहते थे, जो हनुमान जी के भक्त थे. हाथ में कलावा और तिलक उनकी पहचान थी. हर मंगलवार को हनुमान मंदिर जाना उनके जिंदगी का हम दिनचर्या थी.’
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