UP के ‘पद्म पुरस्कार’ क्लब में सामाजिक जीवन के नायक शामिल, जल योद्धा को सम्मान तो…

शिल्पी सेन

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UP News: देश के सबसे प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों की सूची में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण से नवाजने की घोषणा की गई है. समाजवाद की राजनीति को आगे बढ़ाने वाले मुलायम सिंह यादव ने न सिर्फ समाजवादी पार्टी की स्थापना कर उत्तर प्रदेश में नए सियासी समीकरण बनाए, बल्कि राजनीति और सामाजिक जीवन में भी योगदान दिया. मुलायम यूपी के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री भी रहे थे.

‘खेत पर मेड़ और मेड़ पर पेड़’…पिछले 30 साल से यूपी के बुंदेलखंड में इस मंत्र से गांव-गांव में लोग परिचित हो चुके हैं. उमा शंकर पांडे के इस अभिनव प्रयोग को जल संचयन के लिए देश विदेश में मान्यता मिल चुकी है. ‘पानी के पहरेदार’ नाम से क्षेत्र में पहचाने जाने वाले उमा शंकर पांडे सामाजिक कार्यकर्ता हैं. उमा शंकर पांडे दिव्यांग हैं लेकिन उन्होंने अपनी दिव्यांगता को कभी अपने सामाजिक कार्यों में आड़े नहीं आने दिया.

‘बुंदेलखंड की प्यास’ (पानी की कमी) को उन्होंने बचपन से ही महसूस किया. सबसे पहले अपने गांव जखनी में उन्होंने लोगों को जल संचय के लिए जागरूक करना शुरू किया. उसके बाद उन्होंने वर्षा के जल को खेत पर संचय करने की परम्परागत तकनीक को लोगों को समझाना शुरू किया. ‘खेत कर मेड़ और मेड़ पर पेड़’ का नारा देकर उन्होंने आस पास के सभी गांव में बदलाव की बयार ला दी. इसके लिए वर्षों काम करते रहने पर भी उन्होंने कोई सरकारी सहायता नहीं ली. उनका जल मॉडल यूपी के बुंदेलखंड के 470 से ज्यादा ग्राम पंचायतों में लागू किया गया.

धीरे धीरे उमा शंकर पांडे का जल संचयन का मॉडल लोगों के बीच अपनी जगह बनाता गया. उनको ‘जल योद्धा’ के तौर पर न सिर्फ पहचान मिली बल्कि प्रधानमंत्री ने उनके जल मॉडल को लेकर देश भर के प्रधानों को पत्र लिखा।60 वर्ष के उमा शंकर पांडे ने बुंदेलखंड के क्षेत्र में भू जल संरक्षण के लिए गाँव के लोगों को जोड़कर जनसहभागिता का उदाहरण पेश किया।उनके योगदान को देखते हुए जहां उनको कई पुरस्कार सम्मान मिल चुके हैं वहीं नीति आयोग ने उनका भी जल संरक्षण समिति का सददयब्बू नामित किया है.

मुलायम सिंह यादव को पद्मविभूषण देने के अलावा उत्तर प्रदेश के पद्म पुरस्कार सूची में इस बार जो हस्तियां शामिल की गई हैं, वो अपने क्षेत्र में खामोशी से काम करने वाले वो लोग हैं जिन्होंने अपने काम से साहित्य, कला, चिकित्सा में अगम योगदान दिया है. अपने क्षेत्र में काम करते हुए सामाजिक ताने बाने को मजबूत किया है. इन्हीं में से एक नाम कवि विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का है. 82 वर्ष के विश्वनाथ प्रसाद तिवारी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के रहने वाले हैं.

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साहित्य के प्रति उनका योगदान 6 दशक से भी ज्यादा समय का है. त्रैमासिक पत्रिका ‘दस्तावेज’ के संस्थापक-सम्पादक विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का कविता के अलावा साहित्यिक आलोचना में भी बड़ा योगदान है. दस्तावेज पत्रिका 1978 से लगातार गोरखपुर से प्रकाशित हो रही है. ये पत्रिका आलोचना की विशिष्ट पत्रिका मानी जाती है.

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी के 7 कविता संग्रह, 4 यात्रा संस्मरण प्रकाशित हो चुके हैं. तो वहीं आलोचना और शोध के 10 ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं. उनकी कई रचनाओं का अनु भारतीय भाषा में अनुवाद भी हुआ है. पूर्व में शिक्षक रहे विश्वनाथ प्रसाद तिवारी को साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री से नवाजने की घोषणा हिंदी साहित्य की कविता और आलोचना विधा में उनके योगदान को मान्यता भी है.

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