यूपी में यहां नहीं होता रावण दहन, 3 पात्रों की हो चुकी मौत, ‘सच्ची लीला’ के नाम से मशहूर

सौरभ पांडेय

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पीलीभीत के बीसलपुर की रामलीला अपने में काफी खास है. यहां दशहरे के दिन रावण वध के मंचन के दौरान लोग सहमे रहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि 3 बार ऐसा हो चुका है कि रावण वध में रावण का पात्र निभाने वाले कलाकार की मौत हो गई है. एक बार तो पात्र निभाने वाले शख्स की मौत तत्कालीन डीएम और एसपी के सामने ही हो गई. रावण वध के मंचन के दौरान चलाए गए तीर से तब पात्र की मौत हुई थी. तब से ही यह रामलीला सच्ची लीला के नाम से मशहूर हो गई.

एक ही परिवार के लोग निभाते हैं रावण का किरदार

बीसलपुर की इस रामलीला में एक ही परिवार के लोग रावण का पात्र निभाते आ रहे हैं. मंचन के दौरान रावण का अभिनय करने वाले गंगा उर्फ कल्लू मल, अक्षय कुमार और गणेश कुमार की मौत हो चुकी है. बीसलपुर के रहने वाले गंगा उर्फ कल्लू ने 1963 में पहली बार रावण का अभिनय किया. रामलीला के दौरान रावण के वध के मंचन के दौरान राम का तीर लगने ही कल्लू मल की मौत हो गई. ये सब तत्कालीन जिलाधिकारी और एसपी के सामने हुआ.

‘मैदान में लगी है रावण की मूर्ति’

जब रावण बने कल्लू की मौत हुई, उसके बाद मैदान में उनकी मूर्ति लगा दी गई. बताते हैं कि कल्लू रावण के इतने बड़े भक्त थे कि जब कोई उससे राम राम कहता तो वह जय भोले कह कर आगे बढ़ जाते. आज बीसलपुर में इनके घर में सभी लोगों के नाम के आगे रावण लगता है. इतना ही नहीं, बीसलपुर में लंकेश के नाम से एक ज्वैलरी शॉप भी है. अब कल्लू राम के पौत्र दिनेश रास्तोगी रावण का पात्र निभा रहे है. रावण का वध देखने वाले जरूर डरते हैं, लेकिन दिनेश रस्तोगी रावण बिल्कुल नही डरते.

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इस बार रावण का पात्र दिनेश के छोटे भाई राज गोपाल रावण अदा करेंगे. दिनेश रस्तोगी रावण ने बताया कि ‘रावण का रोल हमारे घर के लोग ही करते आ रहे हैं. इस बार छोटा भाई रोल करेगा. 1987 में मेरे परिवार के कल्लू मल रावण की रावण वध के दौरान मौत हो गई थी, जिनकी प्रतिमा मेला मैदान में लगी हुई है. हमारी दुकानों के नाम रावण और लंकेश ज्वैलर्स के नाम से हैं. तीन रावण पात्र मर चुके है, जिसमें एक कि मौत रावण वध के समय हुई,बाकी दो की मौत उसी दिन घर जा कर हुई.

लोग तो यहां तक कहते हैं कि कल्लू रावण रोल अदा करते करते रावण के बहुत बड़े भक्त बन गए थे और उन्हें मोक्ष मिल गया. यहां पूरी रामलीला खुले मैदान में होती है. रावण वध को देखने वालों को तब तक सुकून नहीं आता जब तक रावण पात्र रावण वध का मंचन हो जाने के बाद उठ नहीं जाता.

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