बांदा: जब दुल्हन को लेने बैलगाड़ी पर सवार होकर निकला दूल्हा, पुराने जमाने की आई याद

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आधुनिकता के जमाने मे बढ़ते फैशन को देखते हुए ऐसे कुछ ही लोग बचे हैं जो पुराने जमाने की परंपराओं को याद रखते हैं. ऐसी ही एक पुरानी परंपरा को एक किसान परिवार ने अनोखी मिसाल पेशकर लोगों को बैलगाड़ी के जमाने की याद दिला दी.

बांदा के बबेरू क्षेत्र में जब दूल्हा बैलगाड़ी में सवार होकर दुल्हनिया को लेने सड़कों पर निकला तो हर कोई उसे निहारने लगा. सनातन धर्म की परम्पराओं को पूरी तरह से दूल्हे ने निभाया. गुजरे जमाने की परंपरा से निकली बारात को देखकर हर किसी ने सराहना की.

 

बढ़ती महंगाई में न गाड़ी की चिंता न तेल की चिंता. बारात में बैलगाड़ी सहित बैल भी सजे-धजे दिखाई दिए. बैलों के सींग में तिरंगा की आकृति का कपड़ा भी लगाया गया था.

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ऐसा अनोखा मामला बबेरू कस्बे से सामने आया है, जहां करीब 40 बैलगाड़ियों का काफिला देख हर कोई हैरान रह गया. दूल्हा बैलगाड़ी में बैठकर अपनी दुल्हनिया लेने निकल पड़ा. दूल्हा एक किसान का बेटा है. दूल्हे के साथ-साथ उसके परिवार के अन्य लोग सज-धज कर बैलगाड़ी में नाचते गाते दुल्हन के घर पहुंचे. साथ ही देशी वेशभूषा में उसने कपड़े भी पहने थे.

दूल्हे ने कहा कि आज मैं पूरी लाइफ में पहली बार बैलगाड़ी पर बैठा हूं. बहुत अच्छा लग रहा है. परिवार का मन था कि हम पुरानी परम्पराओं और रीति-रिवाजों से शादी करें. वैसे ही किया जा रहा है. मुझे बहुत खुशी है कि हम अपने पूर्वजों द्वारा बनाई गई रीति-रिवाजों को भूल नहीं हैं.

वहीं बारातियों ने भी कहा कि हम भी पहली बार बैलगाड़ी पर बैठे हैं, लेकिन बहुत खुशी महसूस हो रही है.

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