यूपी के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का आधार कार्ड अनिवार्य, जानिए क्यों?

शिल्पी सेन

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यूपी में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए अब आधार कार्ड बनवाना जरूरी होगा. सरकार की ओर से मिड डे मील, यूनिफॉर्म, किताबें जैसी सुविधाएं तभी मिलेगीं जब छात्र का आधार कार्ड वेरिफिकेशन स्कूल करेगा. योगी 2.0 में ये फैसला लेने के बाद यूपी के स्कूलों में भी इसको लेकर काम शुरू हो गया है.

यूपी सरकार ने इसी सत्र से उन सभी छात्रों में लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया है जो सरकारी प्राइमरी और बेसिक विद्यालयों में पढ़ते हैं. ये उन बच्चों के लिए भी जरूरी होगा जिनका इस सत्र में दाखिला होना है और इन छात्रों के लिए भी जो पहले से सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं.

इसलिए पड़ी आधार कार्ड की जरूरत

सवाल ये उठता है कि आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी? बेसिक शिक्षा मंत्री बताते हैं कि फर्जीवाड़े को रोकने और पारदर्शिता के लिए ये कदम उठाया गया है. प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा- हमने देखा है कि छात्र 2 जगह भी एनरोल करके सुविधा लेते थे. यूपी के 75 जिलों में अभी 1 लाख 30 हजार प्राइमरी और बेसिक विद्यालय हैं.

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बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा- इनमें अभी 1 करोड़ 88 लाख बच्चे पढ़ते हैं. इस बार स्कूल चलो अभियान में 2 करोड़ बच्चों के नामांकन का लक्ष्य है. ऐसे में इन सभी बच्चों के आधार कार्ड बनने हैं. हर विद्यालय को ये निर्देश दिया गया है कि बच्चों को एडमिशन के लिए तो लौटाया न जाए पर उनका आधार कार्ड बनवाने के लिए कहा जाए तभी सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाएं बच्चों को मिलेंगी. योगी 2.0 में 100 दिन के अंदर इसको करने का लक्ष्य रखा गया था.

अभिभावक कल्पना रावत ने बताया कि स्कूलों में शिक्षक अब प्रवेश के समय ही बच्चे के आधार कार्ड के लिए बोल रहे हैं. स्कूलों में एक-एक बच्चे का आधार कार्ड नम्बर रखा जा रहा है. अभी यूपी के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के बच्चों के अभिभावक के अकाउंट में 1100 रुपए भेजे जाते हैं. जिसमें यूनफॉर्म, स्वेटर और स्कूल बैग के लिए पैसा है. अभी तक इस पैसे को सीधे माता-पिता के अकाउंट में डीबीटी करने के लिए अभिभावक का बैंक खाता नम्बर और आधार कार्ड लगता था पर अब इसके साथ उस बच्चे का आधार कार्ड भी जरूरी होगा. जिसके लिए ये सुविधा दी जा रही है. शिक्षक कहते हैं कि इससे बहुत लाभ होगा. अब बच्चे दो जगह एनरोल नहीं हो पाएंगे.

एक टीचर पूनम मिश्रा ने ने बताया कि यूपी के स्कूलों के बच्चों के लिए ये एक नया फ़ैसला है. अब तक सरकारी सुविधाए मिलने के लिए ज़रूरी अभिभावकों का आधार कार्ड था, लेकिन अब बच्चे का आधार कार्ड भी ज़रूरी होगा. कोविड काल में स्कूल बंद थे तो मिड डे मील के लिए बच्चों के अभिभावकों के खाते में भी पैसे भेजे गए. पर देखा ये गया कि उसमें भी जो बच्चे दो जगह नाम लिखाए हुए थे इस एक बच्चे के नाम पर दो बार पैसा गया. फिलहाल मिड डे मील स्कूल में मिलता है. पर बच्चे को दूसरी सुविधाएं सरकार की तरफ़ से मिलती हैं. ऐसे में ये फैसला पारदर्शिता बढ़ाने में और सही पात्र तक सुविधाएं पहुंचाने की दिशा में एक कारगर कदम होगा.

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