दीपावली पर इन गांवों के लोग मनाते हैं शोक, सैकड़ों सालों से चली आ रही ये अनोखी परंपरा

देशभर में जहां लोग दीपावली के पर्व पर घरों को रोशन कर मिठाई बांट कर खुशियां मनाते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के कई…

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देशभर में जहां लोग दीपावली के पर्व पर घरों को रोशन कर मिठाई बांट कर खुशियां मनाते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के कई ऐसे गांव हैं, जहां लोग दीपावली के दिन शोक मनाते हैं. इस दिन ग्रामीण घरों में दीपक नहीं जलाते और न ही कोई जश्न मनाते हैं.

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जिले के मड़िहान तहसील के राजगढ़ इलाके में अटारी गांव और उसके आसपास बसे लगभग आधा दर्जन गांवों में लगभग आठ हजार की संख्या में चौहान समाज के लोग दीपावली के दिन शोक मनाते हैं. सैकड़ों साल से पीढ़ी दर पीढ़ी में यह अनोखी परंपरा आज तक चली आ रही है.

दरअसल, चौहान समाज के लोग खुद को अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान का वंशज बताते हैं. उनका मानना है कि दीपावली के दिन ही मुहम्मद गोरी ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान की हत्या की थी. उनके शव को गंधार ले जा कर दफनाया गया था. इसलिए इस समाज के लोग हर साल दीपावली के दिन को शोक के रूप में मनाते हैं.

अटारी गांव में चौहान समाज के अध्यक्ष धनीराम का कहना है, “हमारे पूर्वज को इसी दिन मुहम्मद गोरी ने मारा था. इसलिए इस दिन को हम लोग घरों में कोई रोशनी नहीं करते हैं और शोक मनाते हैं. हम लोग दीपावली के बजाय एकादशी (देव दीपावली) के दिन दीपावली मनाते हैं. उस दिन घरों को रोशन करते हैं.”

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