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उत्तर प्रदेश में हाल में संपन्न नगर निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महापौर की सभी 17 सीटों पर जीत हासिल कर और 50 प्रतिशत से अधिक पार्षदों की सीट पर कब्जा कर भले ही शानदार विजय हासिल किया हो, लेकिन इस चुनाव में राज्य की राजनीति में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने भी कहीं-न-कहीं अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है.
एआईएमआईएम ने महापौर की कोई सीट नहीं जीती. एआईएमआईएम के 19 उम्मीदवारों ने पार्षदों की सीट (राज्य के विभिन्न नगर निगमों में) जीती. राज्य में नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए एआईएमआईएम ने तीन सीटें जीती हैं.
एआईएमआईएम के 33 उम्मीदवार नगर पालिका परिषद के सदस्य चुने गए. नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए एआईएमआईएम के एक उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. नगर पंचायत सदस्य पद के लिए एआईएमआईएम के 23 उम्मीदवारों ने सफलता का स्वाद चखा.
ऐसे में सीधा सवाल सपा चीफ अखिलेश यादव के मुस्लिम वोटों को लेकर उठा रहा है. कहा जा रहा है कि निकाय चुनाव में मुस्लिमों ने सपा के अपनी नाराजगी दिखा दी और उन्होंने ओवैसी को तीसरे विकल्प के तौर पर चुना है. इस पर जब अखिलेश यादव से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को ये बात पच नहीं रहा है कि आखिर सपा का वोट प्रतिशत कैसे बढ़ रहा है.
अखिलेश ने कहा,
“आप दोबारा रिजल्ट देख लो. उनको शिकायत ये है कि सपा को इतना प्रतिशत में वोट क्यों मिल रहा है. साजिश करने के बाद भी सपा का वोट प्रतिशत कम नहीं हुआ…मेयर सीट के चुनाव पर भी सपा का वोट बढ़ा है. जो लोग साजिश कर रहे हैं वो इसलिए क्योंकि सपा मुकाबले में है.”
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