योगी सरकार में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी इन दिनों अपनी ही पार्टी पर फायर हैं.. उन्होने बीजेपी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि स्थानीय विधायक के रूप में मुझे विश्वास में लेना तो दूर बिना कोई औपचारिक सूचना दिए सपा के नेता को जिन्हें विधानसभा चुनाव 2022 में हराया था.. उन्हें पार्टी ज्वाइन करवा दी.. तो यहां सवाल उठता है आखिर बीजेपी ने नंद गोपाल गुप्ता नंदी के साथ ऐसा क्यों किया.. क्या नंद गोपाल गुप्ता नंदी को साइडलाइन किया जा रहा है.. आईए जानते हैं इस वीडियो में.. दरअसल पहले शुरू करते हैं नंद गोपाल गुप्ता नंदी के बयान से.. मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की तरफ से जारी बयान के मुताबिक,
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स्थानीय विधायक के रूप में मुझे विश्वास में लेना तो दूर बिना कोई औपचारिक सूचना दिए मेरे खिलाफ समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में साल 2022 का विधानसभा चुनाव लड़कर बुरी तरह से चुनाव हारे रईस चन्द्र शुक्ला को भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कराने का प्रस्तावित कार्यक्रम घोर अपमाजनक और आपत्तिजनक है. उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक की अवहेलना और उपेक्षा करते हुए विपक्षी उम्मीदवार को पार्टी ज्वाइन कराना बेहद गंभीर प्रकरण और गहरी साजिश है, अवैध है.
उन्होंने आगे कहा कि यह भारतीय जनता पार्टी की रीति-नीति और पार्टी की लोकतान्त्रिक मूल्यों में गहरी आस्था के सिद्धान्त से सर्वथा प्रतिकूल है. जो लोग पार्टी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाना चाहते हैं और अपनी हठधर्मिता से पार्टी को लगातार क्षति पहुंचा रहे हैं, उनके इस मनमाने रवैये की घोर निन्दा करता हूं. यह रवैया पार्टी की मूल वैचारिकी और कार्यपद्धति के पूर्णतः विपरीत है.
अब यहां से जो समझ आ रहा है की गुस्सा सपा से बीजेपी में आए रईस चंद्र शुक्ला को लाने का भी है.. और बिना उनको बताए पार्टी ये सब कर रही है.. भई स्थानीय विधायक हैं, योगी सरकार में औद्योगिक विकास मंत्री हैं.. तो बुरा तो लगेगा.. इस बात से भी नाराजगी है.. तो पहले आईए जानते हैं कौन हैं रईस चंद्र शुक्ला..
सपा से बीजेपी में आए रईस चंद्र शुक्ला 2022 के विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद दक्षिण पर सपा की टिकट से चुनाव लड़े.. और नंद गोपाल गुप्ता नंदी से हारकर दूसरे नबंर पर थे.. इस सीट पर जहां एक तरफ बीजेपी से नंद गोपाल गुप्ता नंदी को 97,487 वोट मिले तो वहीं रईस चंद्र शुक्ला को 71,070 वोट मिले थे.. 26,417 वोट से नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने रईस चंद्र शुक्ला को मात दी थी.. हालांकि रईस चंद्र शुक्ला बीजेपी से एमएलसी का चुनाव लड़ चुके हैं.. मतलब वो बीजेपी से सपा में गए थे.. सपा के टिकट पर चुनाव लड़े.. हारे और फिर बीजेपी में आए हैं..
अब यहां सबसे जरूरी सवाल, बीजेपी की तरफ से ऐसा क्यों किया गया.. क्यों नंदी को बिना लूप लिए रईस चंद्र शुक्ला को सदस्यता दिलाई गई.. नंदी के साथ बीजेपी का ये व्यवहार क्यों.. दरअसल इस सवाल का जवाब राजनीतिक गलियारों में अलग अलग रूप में दिया जा रहा है..पहला ये कि आपको याद हो अतीक अहमद की बहन आयशा नूरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी पर ये आरोप लगाया था की मंत्री जी ने अतीक अहमद से 5 करोड़ रुपये उधार लिए थे। जो की उन्होने वापस नहीं किए..
दूसरा नंद गोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी अभिलाषा गुप्ता नंदी को इस बार बीजेपी ने प्रयागराज से मेयर पद का प्रत्याशी नहीं बनाया है. बीजेपी ने गणेश केसरवानी को प्रयागराज से मेयर पद के लिए कैंडिडेट घोषित किया है. तो कहीं ना कहीं ये तीन कारण हो सकते हैं जिससे इस बात का आप अंदाजा लगा सकता हैं कि बीजेपी और नंद गोपाल गुप्ता नंदी के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है.. .
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