मृत्यु के बाद क्या परिजन फिर से मिलते हैं?...इस सवाल पर प्रेमानंद महाराज ने दिया ये जवाब

निष्ठा ब्रत

• 04:15 PM • 06 Sep 2025

प्रेमानंद जी महाराज के सत्संगों में भक्ति, जीवन दर्शन और आत्मा-परमात्मा के रहस्यों पर गहरी बातें होती हैं. हाल ही में उन्होंने मृत्यु के बाद के अनुभव और भाग्य परिवर्तन को लेकर प्रेरणादायक विचार साझा किए, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं.

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प्रेमानंद जी महाराज अपने सत्संगों और प्रवचनों के माध्यम से हजारों लोगों को आध्यात्म, भक्ति और सही जीवन मूल्यों की ओर प्रेरित कर रहे हैं. खासकर युवा वर्ग उनके विचारों से काफी प्रभावित हो रहा है.

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हर दिन बड़ी संख्या में लोग महाराज जी के दर्शन और उपदेश सुनने के लिए जुटते हैं. लोग रात भर लाइन में खड़े रहकर टोकन लेते हैं, ताकि सुबह सत्संग में शामिल हो सकें.  
 

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इंटरनेट और सोशल मीडिया पर भी प्रेमानंद जी के लाखों फॉलोवर हैं जो उनके प्रवचनों को सुनकर अपने जीवन में बदलाव ला रहे हैं.
 

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हाल ही में एक भक्त ने सवाल किया कि मृत्यु के बाद क्या परिजन फिर से मिलते हैं? इस पर महाराज जी ने स्पष्ट किया कि मृत्यु के तुरंत बाद आत्मा एक नई योनि में चली जाती है, जहां पुराने रिश्ते समाप्त हो जाते हैं और वहां न कोई माता-पिता होता है न कोई परिचित. 
 

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प्रेमानंद जी ने बताया कि यह संसार एक मंच है और हर जीव अपनी भूमिका निभा रहा है. जैसे पिछला जन्म याद नहीं रहता, वैसे ही मृत्यु के बाद पुराने रिश्तों की पहचान भी नहीं रहती. 
 

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एक अन्य वीडियो में एक भक्त ने प्रश्न किया कि क्या भाग्य बदला जा सकता है. इस पर महाराज जी ने कहा कि हां, भाग्य बदला जा सकता है, लेकिन केवल पुण्य कर्मों के माध्यम से. इसमें नाम जप, तीर्थ यात्रा, सेवा, दान और धार्मिक कार्य प्रमुख हैं.
 

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उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केवल मेहनत या शारीरिक श्रम से भाग्य नहीं बदलता. जब व्यक्ति सच्चे मन से धर्म और परोपकार के कार्य करता है, तब उसका भाग्य जरूर बदलता है.

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