फोटो: अर्णिमा द्विवेदी
धर्म की नगरी वाराणसी अपनी अनेक विशेषताओं के लिए मशहूर है.
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धर्म की नगरी वाराणसी अपनी अनेक विशेषताओं के लिए मशहूर है.
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फोटो: अर्णिमा द्विवेदी
महादेव के इस धाम में एक ऐसी दुर्गा प्रतिमा है जो सालों से विसर्जित नहीं हुई है.
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बनारस के एक मुखर्जी परिवार के बुजुर्ग सदस्य बताते हैं कि 1767 साल में उनके पुरखों ने नवरात्र में एक प्रतिमा स्थपित की थी.
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वहीं विजयादशमी के दिन जब विसर्जन के लिए मर्ति को उठाने की कोशिश की गयी तब वो हिली ही नहीं.
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कहा जाता है कि उस दौरान कई लोगों ने इकट्ठा होकर मूर्ती को उठाने की कोशिश की मगर कुछ असर नहीं हुआ.
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मान्यता है कि उस रात मूर्तिकार के सपने में आकर माता ने मूर्ती विसर्जित करने से मना किया था.
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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 'मुझे केवल गुड़ और चने का भोग रोज शाम को लगा दिया करो मै अब यही रहूंगी.'
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गौरतलब है कि 256 साल पहले मिट्टी, पुआल, बांस, सुतली से बनी ये प्रतिमा खराब नहीं हुई और न ही कभी हट सकी है.
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