यूं ही नहीं बन गई Lucknow University, इसके पीछे है एक अंग्रेज वायसरॉय की कहानी

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फोटो: यूपी तक

लखनऊ विश्वविद्यालय (University of Lucknow) किसी परिचय का मोहताज नहीं है.

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मगर क्या आप जानते हैं कि इस विश्वविद्यालय की नींव का संबंध ब्रिटिश सरकार के एक वायसरॉय डीजे कैनिंग के साथ जुड़ा हुआ है.

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माना जाता है कि अगर वायसरॉय डीजे कैनिंग न होते तो लखनऊ विश्वविद्यालय भी नहीं होता.

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आपको बता दें कि वैसे तो लखनऊ विश्वविद्यालय 1920 में अस्तित्व में आया. मगर इसकी नींव 1864 में ही पड़ गई थी.

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1857 की क्रांति के बाद कंपनी राज का खात्मा हो गया. इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत की कमान अपने हाथ में ली.

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इस दौरान डीजे कैनिंग को अंग्रजी सरकार ने भारत का वायसरॉय बनाकर भेजा.

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तब कैनिंग ने अवध के उन लोगों को कई तरह की सुविधाएं और आर्थिक लाभ दिए, जिन लोगों ने 1857 में अंग्रेजों की मदद की थी.

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वहीं साल 1862 में डीजे कैनिंग का लंदन में निधन हो गया.

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इस दौरान उन सभी लोगों ने वायसरॉय डीजे कैनिंग के सम्मान में स्कूल खोल दिया, जिनके जीवन में वायसरॉय ने अहम रोल निभाया था.

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धीरे-धीरे लखनऊ यूनिवर्सिटी 1920 का एक्ट नंबर V को 1 नवंबर को लेफ्टिनेंट-गवर्नर की सहमति मिली और 25 नवंबर को गवर्नर-जनरल की.

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इस तरह आज का लखनऊ विश्वविद्यालय अपने अस्तित्व में आया.

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