बचपन से ही नेत्रहीन जगद्गुरु रामभद्राचार्य से जुड़ीं इन बातों पर नहीं होगा यकीन!
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फोटो: रामभद्राचार्य/इंस्टा
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म 14 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश जौनपुर में हुआ था.
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रामभद्राचार्य महाराज जब केवल 2 महीने के थे, तब उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी.
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कहा जाता है कि उनकी आंखें ट्रेकोमा से संक्रमित हो गई थीं.
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जगद्गुरु पढ़-लिख नहीं सकते हैं और न ही वह ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं.
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वह केवल सुनकर ही सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं.
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नेत्रहीन होने के बावजूद भी उन्हें 22 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त है और उन्होंने 80 ग्रंथों की रचना की है.
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2015 में जगद्गुरु रामभद्राचार्य को भारत सरकार द्वारा पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था.
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जगद्गुरु रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के वर्तमान में चार जगद्गुर रामानन्दाचार्यों में से एक हैं.
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इस पद पर वह 1988 से प्रतिष्ठित हैं.
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