कभी महान कवि रविंद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि ताजमहल काल के गाल पर सदा सर्वदा के लिए गिरा एक अश्रु मोती है.
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अपनी पत्नी मुमताज की मौत के बाद मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा निर्मित, सफेद संगमरमर का यह मकबरा शाश्वत प्रेम का स्मारक है.
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इस बात में कोई दोमत नहीं है कि जो एक बार ताजमहल का दीदार कर लेता है वो हमेशा के लिए इसका मुरीद बन जाता है.
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ताजमहल का जब भी जिक्र होता है तब यहां के बंद 22 कमरों की चर्चा जरूर होती है.
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बता दें कि ताजमहल के मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे हैं, जिनका दीदार बेहद कम लोगों ने किया है.
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'हर जिंदगी' की रिपोर्ट के अनुसार, ये कमरे कई दशकों से बंद हैं और इनको को आखिरी बार 1934 में खोला गया था.
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वहीं, कई इतिहासकार का मानना है कि 1934 के बाद इन कमरों को केवल निरीक्षण और मरम्मत करने के लिए ही खोला गया है.
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