21 अगस्त के ही दिन खामोश हुई थी जादुई शहनाई! कहानी उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की

21 Aug 2024

दुनिया में कई ऐसे कलाकार हुए हैं, जिनकी कला ने किसी एक देश की सीमाओं को पार किया है.

Credit:यूपी तक

कुछ कलाकारों ने अपनी पहचान को एक विशेष वाद्य यंत्र के साथ इस कदर जोड़ा कि वे दोनों एक-दूसरे के पर्याय बन गए.

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बांसुरी के साथ पंडित हरि प्रसाद चौरसिया, तबले के साथ उस्ताद अल्लाह रक्खा खां और उनके पुत्र उस्ताद जाकिर हुसैन, सितार के साथ पंडित रविशंकर और शहनाई के साथ उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के नाम का सम्मान से उल्लेख किया जाता है.

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उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के बारे में बात करें तो, वे शहनाई वादन में इस कदर माहिर थे कि उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न, से सम्मानित किया गया.

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उन्हें भारत के स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर शहनाई वादन का गौरव प्राप्त हुआ, जिसे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी सराहा था.

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उस्ताद बिस्मिल्लाह खां अपने जीवन में सादगी और आध्यात्मिकता के प्रतीक माने जाते थे.

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21 अगस्त 2006 को, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का वाराणसी में निधन हो गया, लेकिन उनकी संगीत यात्रा और उनके योगदान को दुनिया आज भी याद करती है.

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उनकी शहनाई की मधुर ध्वनि भारतीय संस्कृति और संगीत में हमेशा जीवित रहेगी.

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