शराब का स्वाद काफी हद तक इस पर निर्भर करता है कि वह किस तरह की है. इसका कोई एक निश्चित स्वाद नहीं होता.
शराब का स्वाद तीखा, कड़वा, मीठा या कसैला हो सकता है. यह उसमें मौजूद एल्कोहल की मात्रा, बनाने की प्रक्रिया और इस्तेमाल किए गए पदार्थों (जैसे अंगूर, जौ, या आलू) पर निर्भर करता है.
ज्यादातर लोगों को पहली बार पीने पर शराब कड़वी और गले में हल्की जलन वाली लगती है. यह महसूस एल्कोहल के कारण होता है.
शराब का स्वाद उसकी खुशबू से भी जुड़ा होता है. वाइन में फलों की व्हिस्की में लकड़ी या धुएं की और बीयर में जौ की खुशबू आती है जो उसके स्वाद को और बढ़ा देती है.
शराब पीने के बाद यह शरीर में आसानी से घुल जाती है और दिमाग पर असर डालती है. यही कारण है कि लोग हल्कापन तनाव में कमी और खुशी महसूस करते हैं.
शराब की लत का सबसे बड़ा कारण डोपामाइन है. शराब पीने से दिमाग में डोपामाइन नाम का केमिकल निकलता है जो खुशी और संतुष्टि का एहसास कराता है. दिमाग इस खुशी को बार-बार पाने के लिए शराब की मांग करने लगता है.
कई बार लोग तनाव, अकेलापन या सामाजिक दबाव के कारण भी शराब पीने लगते हैं. धीरे-धीरे यह उनकी समस्या का समाधान लगने लगता है जबकि असल में यह लत की शुरुआत होती है.
बार-बार शराब पीने से शरीर और दिमाग इसकी आदत बना लेते हैं. फिर एक वक्त ऐसा आता है जब व्यक्ति को सामान्य महसूस करने के लिए भी शराब की जरूरत पड़ने लगती है.