भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 18 दिनों की स्पेस यात्रा के बाद 15 जुलाई को वापस धरती पर लौट चुके हैं.
Credit:gagan.shux/इंस्टा
ऐसे में शुभांशु 23 जुलाई तक क्वारंटाइन में रहेंगे. लेकिन परिवार के करीबी लोगों से सीमित मुलाकात की अनुमति है.
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इस बीच बुधवार को शुभांशु ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट में अपनी पत्नी और बेटे से मिलते हुए दिल को छू लेने वाली तस्वीरें शेयर की हैं.
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उन्होंने पोस्ट में कहा, "यह चुनौतीपूर्ण था. पृथ्वी पर वापस आना और अपने परिवार को अपनी बाहों में लेना घर जैसा लगा. मानव अंतरिक्ष यान मिशन जादुई होते हैं. लेकिन इन्हें इंसानों ने ही जादुई बनाया है. अंतरिक्ष उड़ान अद्भुत होती है. लेकिन लंबे समय के बाद अपने प्रियजनों को देखना भी उतना ही अद्भुत होता है."
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उन्होंने लोगों को अपने प्रियजनों की कद्र करने की सलाह देते हुए लिखा, "मुझे क्वारंटाइन में आए 2 महीने हो गए हैं. क्वारंटाइन के दौरान परिवार से मिलने के लिए हमें 8 मीटर की दूरी पर रहना पड़ता था.
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शुभांशु ने आगे लिखा कि 'आज ही किसी प्रियजन को खोजें और उन्हें बताएं कि आप उनसे प्यार करते हैं. हम अक्सर जिंदगी में व्यस्त हो जाते हैं और भूल जाते हैं कि हमारे जीवन में लोग कितने महत्वपूर्ण हैं,"
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बता दें कि शुभांशु की पत्नी कामना तब से अमेरिका में हैं जब शुभांशु ने 25 जून को फ्लोरिडा से स्पेसएक्स के लिए अपनी उड़ान की तैयारी शुरू की थी.
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दोनों की शादी 2009 में हुई थी. वे एक-दूसरे को कक्षा 3 से जानते हैं जब वे दोनों लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में पढ़ते थे.
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कामना ने ह्यूस्टन से पीटीआई भाषा को बताया "अब जब शुभांशु सुरक्षित लौट आए हैं तो हमारा पूरा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर होगा कि वह पृथ्वी पर जीवन में आसानी से ढल जाएं. हमारे लिए इस अविश्वसनीय यात्रा के बाद फिर से मिलना अपने आप में एक उत्सव है."
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"मैं अभी उनके लिए घर का बना पसंदीदा खाना बना रही हूं. यह जानते हुए कि अंतरिक्ष में रहने के दौरान उसे घर का बना खाना कितना याद आया होगा."
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कामना ने स्वीकार किया कि अंतरिक्ष यात्राओं में लंबे समय तक अलग रहना दर्दनाक होता है.लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने इसके साथ तालमेल बिठा लिया है और इस तरह के अलगाव ने कई मायनों में उनके रिश्ते को और मजबूत किया है.
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कामना ने कहा कि 'शुभांशु के मिशन का सार हमेशा युवा पीढ़ी को STEM क्षेत्रों में आगे बढ़ने, नवाचार करने और अत्याधुनिक तकनीक को भारत में लाने के लिए प्रेरित करना रहा है. अंतरिक्ष यात्री बनने का रास्ता चुनौतीपूर्ण तो हैलेकिन यह अविश्वसनीय रूप से फलदायी भी है.
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