महाकुंभ 2025 से जुड़े 7 रोचक फैक्ट्स

13 Jan 2025

महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार होता है, जहां दुनिया भर के संत-साधु और भक्त आस्था की डुबकी लगाते हैं. इसमें शाही स्नान, जिसे अमृत स्नान भी कहा जाता है का विशेष महत्व है.

Credit:यूपी तक

इस बार का महाकुंभ बेहद शुभ है क्योंकि 144 साल बाद सूर्य, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है. ऐसा खगोलीय संयोग समुद्र मंथन के दौरान भी बना था.

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प्रयागराज के संगम तट पर 41 घाट बनाए गए हैं जिनमें 10 पक्के और 31 अस्थायी घाट हैं. संगम घाट सबसे महत्वपूर्ण है जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का मिलन होता है.

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महाकुंभ में 13 अखाड़े आकर्षण का मुख्य केंद्र होते हैं. इनकी शुरुआत आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए की थी. ये अखाड़े तीन श्रेणियों- शैव, वैष्णव और उदासीन में बांटे गए हैं.

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इस बार महाकुंभ में लगभग 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. दुनियाभर से लोग संगम में पवित्र डुबकी लगाने पहुंचेंगे.

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महाकुंभ 2025 का पहला शाही स्नान मकर संक्रांति पर होगा. इस दिन लगभग 7 करोड़ श्रद्धालुओं के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने का अनुमान है.

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संगम क्षेत्र के आसपास 3000 बेड के रैन बसेरे बनाए गए हैं. कुल 204 गेस्ट हाउस, 90 धर्मशालाएं और लाइसेंस प्राप्त पीजी हाउस में ठहरने की व्यवस्था की गई है. पर्यटन विभाग ने इन घरों को लाइसेंस और ट्रेनिंग दी है.

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