ओवरवेट से जूझ रहे लोगों को अक्सर सोशल स्टिग्मा का सामना करते हैं. उनके अंदर रिजेक्शन का भय पैदा होता है. रिसर्च बताती हैं कि ऐसे लोगों में एंग्जाइटी और डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है.
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इमोशनल ईटिंग का खतरा बढ़ जाता है. स्ट्रेस, सैडनेस जैसी भावनाओं को काबू करने के लिए लोग ओवर ईटिंग करने लगते हैं. इससे उनकी समस्या में और इजाफा ही होता है.
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अपराध बोध की भावना भी ऐसे लोगों का पीछा करती है. वह अपने प्लस साइज के शरीर के लिए खुद को दोषी मानने लगते हैं. स्टडी बताती हैं कि ऐसे में हेल्दी लाइफ स्टाइफ अपनाने की उनकी प्रेरणा भी कमजोर पड़ती है.
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ऐसे लोगों को अकेलापन और अलगाव से जूझना पड़ता है. ज्यादा वजन के लोग अक्सर सोशलाइजिंग से बचते हैं क्योंकि उन्हें डर लगता है कि लोग उन्हें मजाकिया नजरों से देखेंगे.
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मोटापा किसी भी शख्स के अंदर कमजोर आत्मविश्वास की वजह भी बन सकता है. वजन कम करने में बार-बार मिलने वाली असफलता इसकी प्रमुख वजह होता है.
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ज्यादा वजन से प्रभावित लोगों को अक्सर जज किए जाने का खतरा सताता रहता है. वह इस बारे में लगातार सोचते रहे हैं कि लोग उनके बारे में क्या सोच रहे हैं.
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इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओबेसिटी में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक 79% वयस्कों ने अपने प्लस साइज की वजह से भेदभाव के लिए मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना किया है.
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