हर मां-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे संस्कारी बनें, लेकिन इसके लिए प्रयास कैसे होने चाहिए?
Credit:AI से
हमारे सहयोगी Astro Tak पर पंडित शैलेंद्र पांडेय ने इसके उपायों के बारे में बताया है.
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शैलेंद्र पांडेय के मुताबिक, जन्म से लेकर 21 वर्ष तक संस्कार का निर्माण होता है.
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बच्चों पर खान पान, मित्रता, पूजा-उपासना जैसी चीजों का असर पड़ता है.
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बच्चों पर माता पिता के संस्कारों का भी प्रभाव पड़ता है, सिर्फ मंत्र पढ़ाने, खान पान शुद्ध करने से काम नहीं चलेगा.
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पंडित शैलेंद्र पांडेय कहते हैं कि अगर बच्चा एक से 5 वर्ष का है, तो उसके खान-पान, आहार का ध्यान दें.
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खान-पान और आहार से ही सोच और विचार बनते हैं. सोच समझकर बच्चे को आहार दें.
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6-10 वर्ष की उम्र के बच्चों के शुभ और अशुभ आदतें आने लगती हैं. धर्म, ईश्वर और व्यवहार के बारे में ज्ञान होने लगता है.
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जिनके घर में 6-10 साल के बच्चे हैं, वो घर का माहौल शुद्ध और सात्विक रखें.
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घर के लोग अपने व्यवहार और आचरण को दुरुस्त रखें. बच्चे को सही और गलत के बीच का फर्क करना सिखाइए.
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