मूंग एक महत्वपूर्ण दलहन फसल है जो भारत में खरीफ और ग्रीष्मकाल में उगाई जाती है.
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यह एक कम अवधि वाली फसल है और कम पानी में भी अच्छी तरह से उगती है.
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मूंग प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है, और इसकी खेती किसानों के लिए लाभदायक हो सकती है.
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मूंग की खेती करने के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी होनी चाहिए और उत्तम किस्मों के बीज का चयन करना चाहिए.
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गर्मी के मौसम में मूंग की खेती के लिए बीज की मात्रा 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए और बुवाई 20 से 25 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में करनी चाहिए.
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गर्मी के मौसम में मूंग की खेती के लिए बीज की मात्रा 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए और बुवाई 20 से 25 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में करनी चाहिए.
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वहीं, खरीफ के मौसम में 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज बोना लाभदायक होगा. बुवाई 30 से 40 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में करनी चाहिए.
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मूंग की बुवाई रबी फसलों की कटाई के तुरंत बाद करना चाहिए, जहां सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो. मूंग की बुआई 30 से 45 सेमी की दूरी पर कतारों में करना चाहिए.
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मूंग बोने से पहले खेत की मिट्टी को हल से जोतकर 2-3 बार कल्टीवेटर या देशी हल से जोतकर समतल कर लें. बुवाई के समय खेत में 20 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 20 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें.
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मूंग की बुवाई से पहले सल्फर की कमी वाले क्षेत्रों में सल्फर युक्त उर्वरक 20 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से डालना चाहिए.
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मूंग में कई बार फली छेदक रोग हो जाता है. ऐसे में 250 ग्राम इगाओ (इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी.) को 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से फली बनते समय छिड़काव करें और पहले छिड़काव के 15 दिन बाद फिर से छिड़काव करें.
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