महिलाएं अक्सर अपने परिवार और काम में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं. नतीजा ये होता है कि कई बीमारियां धीरे-धीरे शरीर में घर कर लेती हैं.
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कुछ बीमारियां खासतौर पर महिलाओं में ज़्यादा पाई जाती हैं, जिनका समय पर पता चलना और इलाज बेहद जरूरी है.
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एनीमिया (खून की कमी): भारत में अधिकांश महिलाएं आयरन की कमी से पीड़ित होती हैं. इससे थकान, चक्कर और कमजोरी महसूस होती है.
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थायरॉइड समस्या: हाइपोथायरॉइडिज्म और हाइपरथायरॉइडिज्म दोनों ही महिलाओं में आम हैं. इससे वजन बढ़ना, कमजोरी और मूड स्विंग्स हो सकते हैं.
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हॉर्मोनल असंतुलन / PCOS: PCOS आजकल युवतियों में बहुत आम है, जिससे पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और गर्भधारण में दिक्कत आ सकती है.
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हड्डियों की कमजोरी (ऑस्टियोपोरोसिस): बढ़ती उम्र में महिलाओं की हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, खासकर मेनोपॉज़ के बाद. कैल्शियम और विटामिन D की कमी इसका मुख्य कारण है.
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ब्रेस्ट कैंसर: यह महिलाओं में सबसे आम और खतरनाक बीमारियों में से एक है. समय पर जांच से बचाव संभव है.
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डिप्रेशन और मानसिक तनाव: घरेलू, सामाजिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के कारण मानसिक तनाव और डिप्रेशन महिलाओं में ज़्यादा देखने को मिलता है.
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यूरिन संक्रमण (UTI): महिलाओं में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन आम होता है, जो सही देखभाल न करने पर गंभीर रूप ले सकता है.
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