शरीर में ग्लूकोज की कमी, जिसे हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में शुगर (ग्लूकोज) का स्तर सामान्य से नीचे चला जाता है.
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चूंकि ग्लूकोज शरीर और खासकर मस्तिष्क की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, इसलिए इसकी कमी से कई शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
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यह समस्या अक्सर डायबिटीज़ के मरीजों में अधिक देखी जाती है, लेकिन लंबे समय तक भूखा रहना, अधिक व्यायाम करना या कुछ विशेष दवाओं का सेवन भी इसका कारण बन सकता है.
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कमज़ोरी और थकान: शरीर को ऊर्जा के लिए ग्लूकोज की ज़रूरत होती है. जब यह कम हो जाता है, तो शरीर थका-थका और कमजोर महसूस करने लगता है.
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चक्कर आना या बेहोशी जैसा महसूस होना: दिमाग को सही से काम करने के लिए ग्लूकोज चाहिए. जब इसकी कमी होती है, तो चक्कर आने लगते हैं और कभी-कभी बेहोशी भी आ सकती है.
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तेजी से दिल धड़कना (घबराहट): ग्लूकोज लेवल गिरने पर शरीर अलर्ट मोड में चला जाता है, जिससे दिल की धड़कन तेज हो जाती है और घबराहट महसूस होती है.
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पसीना आना: हाइपोग्लाइसीमिया में शरीर तनाव में आ जाता है और ज्यादा पसीना आने लगता है, खासकर ठंडा पसीना.
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कंपन: ग्लूकोज की कमी से शरीर की मांसपेशियां प्रभावित होती हैं, जिससे हाथ-पैर कांपने लगते हैं.
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धुंधला दिखाई देना: आंखों को ठीक से काम करने के लिए ऊर्जा चाहिए होती है. ग्लूकोज कम होने पर नजर धुंधली हो सकती है.
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भूख लगना (अचानक): ग्लूकोज गिरते ही दिमाग शरीर को संकेत देता है कि तुरंत कुछ खाएं, जिससे अचानक तेज भूख लगती है.
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चिड़चिड़ापन या मूड बदलना: ग्लूकोज की कमी से मस्तिष्क का संतुलन बिगड़ता है, जिससे व्यक्ति चिड़चिड़ा या गुस्सैल हो सकता है.
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एकाग्रता में कमी: दिमाग को ठीक से काम करने के लिए ग्लूकोज चाहिए. जब यह कम होता है, तो सोचने और ध्यान लगाने में दिक्कत आती है.
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बेहोशी (गंभीर मामलों में): अगर ग्लूकोज बहुत ज्यादा कम हो जाए और समय पर इलाज न हो, तो व्यक्ति बेहोश हो सकता है या कोमा में जा सकता है.
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