आज कल के लोग तकनीक पर इतना निर्भर हो चुके हैं कि वह अपना ज्यादातर समय फोन या टीवी स्क्रीन पर ही बिताना पसंद करते हैं.
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छोटी उम्र से ही बच्चे फोन की स्क्रीन को देखना शुरु कर देते हैं जिससे उन्हें कम उम्र में ही चश्मा लग जाता है.
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एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम सीमित होना चाहिए क्योंकि इससे उनके विकास में रुकावट पैदा हो सकती है.
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ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों को आलसी और सुस्त बना देती है जिससे उनका क्रिएटिव काम करने का मन नहीं करता है.
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लंबे समय तक स्क्रीन पर देखते रहना,या फिर फोन का इस्तेमाल करने की वजह से बच्चों की नींद का पैटर्न खराब होने लगता है.
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लंबे समय तक स्क्रीन पर देखते रहना,या फिर फोन का इस्तेमाल करने की वजह से बच्चों की नींद का पैटर्न खराब होने लगता है.
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ज्यादातर समय स्क्रीन को देखते रहने की वजह से बच्चों में सहयोग, सहानुभूति जैसे नैतिक मूल्यों में कमी आ सकती है और वे अकेला रहना पसंद करने लगते हैं.
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फोन का अधिक इस्तेमाल करने से बच्चे कम उम्र में ही एंजाइटी और डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं.
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देर तक स्क्रीन पर देखने की वजह से बच्चों की आंखों में कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं, जिनमें आंखों से पानी आना, कम दिखाई देना
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