शनि ग्रह को नवग्रहों में सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है. इस साल शनिदेव 30 जून रविवार को सुबह 12 बजकर 52 मिनट पर कुम्भ राशि में वक्री होंगे.
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शनिदेव इसी साल 15 नवंबर शुक्रवार शाम 07 बजकर 53 मिनट पर मार्गी होंगे. श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान ज्योतिषाचार्य महंत रोहित शास्त्री से जानिए इसके असर और प्रभाव.
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शनिदेव के वक्री होने की अवधि कुल 139 दिनों की रहेगी. शनिदेव न्याय प्रिय और दंडाधिकारी हैं इसलिए उन्हें कलयुग का न्यायाधीश कहते हैं.
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श्री शनिदेव जी की उल्टी चाल का किस किस राशि पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है,आइए जानते हैं.
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शनिदेव की साढे़साती मकर राशि, कुम्भ राशि और मीन राशि पर है, मकर वालों पर इसका अंतिम चरण, कुम्भ वालों पर दूसरा चरण और मीन वालों पर अभी पहला ही चरण चल रहा है.
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कर्क राशि और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है. इसलिए विशेष रूप से इन पांच राशियों को लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है.
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ज्योतिषाचार्य का सुझाव है कि किसी भी विद्वान ब्राह्मण से या स्वयं शनि के तंत्रोक्त, वैदिक मंत्रों के 23,000 जाप करें या करवाएं.
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