आज के समय में हर व्यक्ति किसी न किसी चिंता, तनाव या मानसिक बोझ से गुजर रहा है. मन को शांत करना, नकारात्मक विचारों को रोकना और सच्चे आनंद को प्राप्त करना, ये सब कठिन प्रतीत होते हैं.
Picture Credit: भजनमार्ग ऑफिशियल/इंस्टा
एक भक्त प्रेमानंद महाराज जी से सवाल किया कि "बाबा, टेंशन नहीं जाती, क्या करूं?", महाराज जी ने बड़े सुंदर और गहरे विचार साझा किए.
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प्रेमानंद महाराज जी का कहना है कि अगर हमारा मन खाली रहेगा, तो उसमें चिंता, भ्रम और नकारात्मकता भर जाएगी. इसलिए मन को खाली मत छोड़ो, उसे भगवान के चिंतन में लगाओ.
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महाराज जी कहते हैं कि अगर हमारे मन में भगवान या भगवती का चिंतन होगा, तो चिंता दो मिनट में समाप्त हो जाएगी.
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उनका मानना है कि सच्चा विवेक वही है जो एक क्षण में द्वेष को नष्ट कर दे और आनंदपूर्वक भगवत-चिंतन में लग जाए।
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प्रेमानंद जी बताते हैं कि आध्यात्मिकता के बिना हम अपने मन के नकारात्मक भावों को नहीं रोक सकते, चाहे चिंता कितनी भी गहरी क्यों न हो, उसका समाधान केवल ईश्वर के चिंतन में है.
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जब कोई व्यक्ति हमें बुरा कहे, तो महाराज जी कहते हैं कि यह सोचो, "यह मेरे ही कर्मों का फल है. यह व्यक्ति तो सिर्फ निमित्त है." इससे द्वेष समाप्त होता है.
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प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं, "धन्य हो प्रभु! जो मेरे पापों का दंड देकर मुझे शुद्ध कर रहे हो."
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उनका यह भी मानना है कि जब हम सच्चे मन से भगवान का नाम जपते हैं, तब विवेक जागता है और वही विवेक एक क्षण में चिंता को मिटा देता है.
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