वाराणसी: काशी विश्वनाथ मंदिर में VVIP दर्शन को लेकर लिस वाले ने लेखपाल को जमकर पीटा

रोशन जायसवाल

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VIP दर्शन कराने के नाम पर विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के कर्मचारियों और काॅरिडोर में तैनात पुलिसकर्मियो में रार अब खुलकर सामने आ चुकी है. हद…

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VIP दर्शन कराने के नाम पर विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के कर्मचारियों और काॅरिडोर में तैनात पुलिसकर्मियो में रार अब खुलकर सामने आ चुकी है. हद तो तब हो गई कि जब मंदिर कर्मचारी एक लेखपाल ने पुलिस के मनमाने तरीके से कुछ लोगों को दर्शन कराने का विरोध किया तो दर्शन कराने ले जा रहे सिपाही ने लेखपाल रामदास को जमकर कूट डाला. इसके बाद वहां अफरा-तफरी मच गई और मंदिर कर्मी और पुलिस आमने-सामने आ गए.

इसके बाद वहीं विश्वनाथ धाम के मंदिर चौक में दर्जनों की संख्या में मंदिर कर्मियों ने पुलिस प्रशासन के मुर्दाबाद के नारों के साथ धरना भी शुरू कर दिया. अब मामला आलाधिकारियों तक पहुंच चुका है.

विश्वनाथ धाम या विश्वनाथ काॅरिडोर बनने के बाद से ही श्रद्धालुओं की संख्या में अपेक्षित रूप से इजाफा हुआ है और VIP दर्शन भी काफी बढ़ चुका है. विश्वनाथ मंदिर में कभी मंदिर प्रशासन के जरिए तो कभी पुलिस के जरिए VIP दर्शन का सिलसिला बगैर टिकट या शुल्क के बदस्तूर जारी है. इसी की बानगी शुक्रवार को उस वक्त चरम पर चली गई जब मंदिर-प्रशासन के एक लेखपाल ने पुलिस द्वारा कराई जा रही मनमाने तरीके से VIP दर्शन पर आपत्ति की तो पुलिस के जवान ने लेखपाल को पीट दिया.

दरअसल, आरोप है कि पुलिस का जवान मंदिर के चौक क्षेत्र में टिकट चेकिंग प्वाइंट पर कतार की दूसरी तरफ से अपने साथ 10 लोगों को प्रवेश करा रहा था, वो भी बिना टिकट. जिसपर लेखपाल रामदास ने टोका. फिर क्या था सिपाही ने आव न देखा ताव रामदास को कई थप्पड़ मार दिए.

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इस बारे में चोटिल रामदास बताते हैं कि वे प्रोटोकाल जांच अधिकारी के तौर पर मंदिर में हैं. उनकी तरफ से इस बात पर आपत्ति की गई कि पुलिस वाले की तरफ से लाए जा रहे शख्स के पास न VIP दर्शन का कोई टिकट नहीं था और प्रोटोकाल के रजिस्टर में भी नोट नहीं कराया. सिर्फ इसी पर सवाल करने पर सिपाही उन्हें खींचकर मारने लगा.

उन्होंने बताया कि उनकी तरफ से किसी तरह की लड़ाई न तो की गई है और न ही हाथ छोड़ा गया. अब वे चाहते हैं कि कम से कम उस आरोपी सिपाही का सस्पेंशन हो.

उन्होंने बताया कि इस पूरे घटना की शिकायत उन्होंने मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी से भी लिखित तौर पर कर दी है और थाने में भी रिपोर्ट लिखाने जा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि उन जैसे चार लेखपालों के संघर्ष की वजह से काॅरिडोर का प्रोजेक्ट सफल हुआ है, लेकिन अब उनके साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है. ऐसे में कम से कम उनपर हमला करने वाले सिपाही को सस्पेंड किया जाए नहीं तो उनकी पुरानी जगह पर ही वापस उनको भेज दिया जाए.

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