UP चुनाव: वाराणसी में क्या इस बार भी बीजेपी जीत पाएगी सभी सीटें? जानिए यहां का सियासी हाल

मोहित सिंह कुशवाहा

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के 6 चरणों के मतदान के बाद अब सातवें फेज की वोटिंग 7 मार्च को होनी है. ऐसे में सभी…

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के 6 चरणों के मतदान के बाद अब सातवें फेज की वोटिंग 7 मार्च को होनी है. ऐसे में सभी पार्टियों के दिग्गजों ने चुनाव प्रचार अभियान में पूरी ताकत झोंक दी है. इस बीच, हम आपको प्रदेश के विधानसभा क्षेत्रों का सियासी हाल बता रहे हैं. इसी क्रम में आज हम आपको वाराणसी की सभी विधानसभा सीटों का सियासी हाल बताने जा रहे हैं.

वाराणसी में विधानसभा सीटों की बात की जाए तो यहां कुल 8 विधानसभा सीटे हैं. जहां 2017 में बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ सभी 8 सीटों पर जीत का परचम फहराया था. लेकिन इस बार 2022 के विधानसभा के चुनाव में मुकाबला पहले जितना आसान नहीं माना जा रहा है.

मतदाताओं की बात करें तो जिले में कुल 3029215 मतदाता हैं, जिसमें 1653170 पुरुष, 1375860 महिला और 185 थर्ड जेंडर मतदाता हैं.

तो वे कौन से राजनीतिक समीकरण हैं जो 2017 और 2019 के बाद यहां बदल हैं, आइए हम एक-एक विधानसभा का सियासी गणित बताते हैं. गौरतलब है कि इस बार 2022 में वाराणसी के अलग-अलग आठ विधानसभाओं से कुल 70 प्रत्याशी मैदान में हैं.

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सबसे पहले अगर हम पिंडरा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां बीजेपी ने सीटिंग विधायक अवधेश सिंह को दूसरी बार मैदान में उतारा है. उन्होंने 2017 में पांच बार से विधायक रहे कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को पटखनी दी थी. उस चुनाव में बीएसपी के बाबूलाल पटेल दूसरे और अजय राय तीसरे स्थान पर चले गए थे.

इस बार कांग्रेस से अजय राय और बीएसपी से बाबूलाल एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं. वहीं एसपी की सहयोगी अपना दल (क) ने अपने पदाधिकारी राजेश पटेल को मैदान में उतारते हुए समीकरण साधने का प्रयास किया है. हालांकि यहां लड़ाई बहुकोणीय होने की ओर जाती दिख रही है, जो अप्रत्याशित रिजल्ट दे सकती है.

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पिंडरा विधानसभा क्षेत्र में पुरुष मतदाता 199174, महिला मतदाता 170077, थर्ड जेंडर मतदाता 14 सहित वोटरों की कुल संख्या 369265 है.

वहीं सबसे दिलचस्प शहर दक्षिणी सीट की बात की जाए तो 1989 यानी 33 साल से यहां पर बीजेपी का कब्जा है. पिछली बार बीजेपी ने सात बार के विधायक श्यामदेव राय चौधरी की जगह डा. नीलकंठ तिवारी को टिकट दिया. काशी विश्वनाथ धाम व गंगा तटीय इस इलाके से जीतकर डा. नीलकंठ धर्मार्थ, संस्कृति व पर्यटन मंत्री बने. उन्होंने एसपी-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी पूर्व सांसद डा. राजेश मिश्रा को शिकस्त दी थी.

इस बार सत्ता पक्ष के लिए बताने-दिखाने के लिए बहुत कुछ जरूर है, लेकिन विपक्ष की किलेबंदी भी कमजोर नहीं है. एसपी ने अपनी युवा विंग में लंबे समय से सक्रिय कामेश्वरनाथ दीक्षित किशन को मैदान में उतारा है. किशन प्रतिष्ठित महामृत्युंजय महादेव मंदिर महंत परिवार से हैं. वहीं कांग्रेस ने शहर के प्रतिष्ठित व्यवसायी परिवार की बहू मुदिता कपूर को टिकट दिया है. उनके पति गौरव लंबे समय से कांग्रेस आइटी सेल को लीड कर रहे हैं. इसके अलावा बीएसपी से दिनेश कसौधन तो आप से पार्षद अजीत सिंह मैदान में हैं.

वाराणसी दक्षिणी विधान सभा में पुरुष मतदाता 174184, महिला मतदाता 142113, थर्ड जेंडर मतदाता 31 सहित वोटरों की कुल संख्या-316328.

वहीं अगर हम शहर उत्तरी सीट की बात करें तो ये सीट भी बीजेपी के लिए बेहद ही दिलचस्प रही है. शहर उत्तरी सीट ढाई दशक बाद 2012 में बीजेपी के हाथ आई. एसपी की लहर के बाद भी रवींद्र जायसवाल ने जीत हासिल की थी. उस समय उन्होंने बीएसपी के सुजीत कुमार मौर्या को हराया था. पिछली बार उन्होंने एसपी-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी अब्दुल समद अंसारी को हराया और सरकार में स्टांप मंत्री बने.

अबकी तीसरी बार बीजेपी ने रवींद्र जायसवाल को टिकट दिया है तो वहीं एसपी ने 2012 में कैंट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके पुराने नेता अशफाक अहमद डब्लू को उनके सामने मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने राजनीतिक परिवार की गुलराना तबस्सुम, आप ने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष जायसवाल तो बीएसपी ने श्याम प्रकाश राजभर को टिकट देकर समीकरण साधने का प्रयास किया है. हालांकि यहां भी लड़ाई आमने-सामने की ही होने के आसार दिख रहे हैं.

वाराणसी उत्तरी विधान सभा में पुरुष मतदाता 229293, महिला मतदाता 189314, थर्ड जेंडर मतदाता 42 सहित वोटरों की कुल संख्या-418649.

वहीं अगर कैंट सीट की बात की जाए तो ये सीट वर्ष 1991 से ही बीजेपी के खाते में रही कैंट सीट पर सीटिंग विधायक सौरभ श्रीवास्तव एक बार फिर मैदान में हैं. इससे पहले दो चरणों में चार बार उनकी माता ज्योत्सना श्रीवास्तव तो दो बार उनके पिता हरिश्चंद्र श्रीवास्तव विधायक रहे हैं. साल 2017 में सौरभ ने एसपी-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी अनिल श्रीवास्तव को हराया था.

इस बार उनके सामने पिछली बार शहर दक्षिणी से चुनाव लड़ चुके कांग्रेस से पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्र मैदान में हैं. वहीं समीकरणों को साधते हुए एसपी ने अपनी महिला सभा की महानगर अध्यक्ष पूजा यादव को टिकट दिया है तो बीएसपी ने कौशिक पांडेय को मैदान में उतारा है. हालांकि इस सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई नजर आ रही है.

वाराणसी कैंटोनमेंट विधानसभा में पुरुष मतदाता 245665, महिला मतदाता 201850, थर्ड जेंडर मतदाता 36 सहित वोटरों की कुल संख्या-447551.

अब अगर शिवपुर सीट को देखें तो यहां दोनों एसपी-बीजेपी खेमे में कांटे की लड़ाई देखने को मिल सकती है. यहां सीटिंग विधायक और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर एक बार फिर भाजपा से मैदान में हैं. उनके सामने सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद राजभर ताल ठोंक रहे हैं.

सुभासपा पिछली बार भाजपा के साथ थी तो अबकी एसपी के साथ. इस क्षेत्र का चुनाव परिणाम दो राजभर नेताओं की पैठ का आकलन भी कराएगी. राजभर, यादव व मौर्य बहुल इस सीट पर भी लड़ाई आमने-सामने की नजर आ रही है. हालांकि कांग्रेस ने यहां से गिरीश पांडेय, बीएसपी ने रवि मौर्या को टिकट दिया है. सभी पहली बार चुनाव मैदान में हैं.

शिवपुर विधानसभा क्षेत्र में पुरुष मतदाता 201315, महिला मतदाता 167048, थर्ड जेंडर मतदाता 11 सहित वोटरों की कुल संख्या 368374.

अब अगली विधानसभा सीट अजगरा की बात करें तो ये जिले की एक मात्र सुरक्षित सीट है जहां इस बार समीकरण पूरी तरह से बदल चुके हैं. यहां 2017 में बीजेपी के सहयोगी दल सुभासपा के कैलाशनाथ सोनकर ने जीत हासिल की थी. वहीं एसपी के लालजी सोनकर दूसरे तो सीटिंग विधायक बीएसपी के टी राम तीसरे स्थान पर रहे थे.

अबकी सुभासपा एसपी के साथ है और बीजेपी ने पहली बार सीधे प्रत्याशी उतारते हुए बीएसपी से आए टी राम को टिकट दिया है. वहीं सुभासपा ने नए चेहरे सुनील राजभर को मैदान में उतारा है. इस तरह सुभासपा अबकी एसपी के सहयोग से सीट बचाने के प्रयास में है तो बीजेपी कड़ी चुनौती दे रही है. बीएसपी ने यहां से इस बार रघुनाथ चौधरी को टिकट दिया है.

अजगरा विधानसभा क्षेत्र में पुरुष मतदाता 197001, महिला मतदाता 171926, थर्ड जेंडर मतदाता 11 सहित वोटरों की कुल संख्या 368938.

सेवापुरी विस क्षेत्र की बात करें तो यहां बीजेपी ने इस बार नया प्रयोग किया है. सीट अपने पास रखते हुए सीटिंग विधायक नीलरतन पटेल को टिकट दिया है. नीलरतन 2017 में बीजेपी के गठबंधन सहयोगी अपना दल (एस) से विधायक बने थे. उन्होंने चार बार से विधायक रहे एसपी के पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल को लंबे अंतर से हराकर यह सीट हासिल की थी.

इस बार भी नीलरतन पटेल के सामने एसपी से सुरेंद्र पटेल ही मैदान में हैं. इस तरह लड़ाई पिछली बार की तरह पुराने प्रतिद्वंद्वियों के बीच कांटे की नजर आ रही है. वहीं कांग्रेस ने अंजू सिंह, बीएसपी ने अरविंद त्रिपाठी और आप ने कैलाश पटेल को टिकट देकर समीकरण साधने का प्रयास किया है.

सेवापुरी में विधानसभा क्षेत्र में पुरुष मतदाता 184531, महिला मतदाता 155511, थर्ड जेंडर मतदाता 15 सहित वोटरों की कुल संख्या-340057 है.

वाराणसी की रोहनिया सीट की बात की जाए तो रोहनिया सीट पर इस बार एक ही परिवार के बीच जंग चुनाव को रोमांचक बनाएगी. यह सीट अबकी बीजेपी के गठबंधन सहयोगी अपना दल (एस) के पास है. इस सीट पर वर्ष 2012 में अनुप्रिया पटेल जीती थीं.

साल 2014 में मीरजापुर से उनके सांसद बनने के बाद उपचुनाव में इस पर एसपी ने कब्जा कर लिया. हालांकि 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर सुरेंद्र नारायण सिंह ने एसपी के सीटिंग विधायक महेंद्र सिंह पटेल को भारी अंतर से हरा दिया था.

इस बार भी लड़ाई कांटे की ही मानी जा रही है. यहां बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) ने अपने प्रदेश उपाध्यक्ष डा. सुनील पटेल को मैदान में उतारा है. वहीं एसपी गठबंधन सहयोगी अपना दल (क) से अभय पटेल मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस ने अपने जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल को मैदान में उतार कर लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास किया है.

रोहनियां विधानसभा क्षेत्र में पुरुष मतदाता 222007, महिला मतदाता 178021, थर्ड जेंडर मतदाता 25 सहित वोटरों की कुल संख्या-400053.

2017 में जहां बीजेपी ने अपने सहयोगियों के साथ जहां सभी सीटों पर कब्जा किया था तो अब कई सीटों पर विपक्षी पार्टियां भी मजबूत नजर आ रहीं हैं. अब देखना होगा कि सत्ताधारी पार्टी यहां से कितनी सीटें जीतकर चुनावी परचम फहराती है.

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