कई बड़ी चुनौतियां थीं सामने, फिर कैसे BJP ने जीत लिया ‘यूपी का रण’? इन आंकड़ों से समझिए

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”किसान आंदोलन, महंगाई, बेरोजगारी, गांवों में खस्ता हाल सड़कें, खास रणनीति के साथ बना समाजवादी पार्टी का गठबंधन, चुनाव से ठीक पहले पिछड़े समाज के कई नेताओं का बीजेपी से बाहर निकलना…”

अगर आपने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को करीब से देखा होगा, तो बार-बार इन पहलुओं का जिक्र जरूर सुना होगा. इनके आधार पर लगातार कहा जा रहा था कि यूपी में इस बार बीजेपी की राह आसान नहीं होने जा रही.

मगर अब जब विधानसभा चुनाव के रुझानों/नतीजों से बहुत हद तक साफ हो चुका है कि उत्तर प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी भारी बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है, तो बहुत से लोगों के मन में एक सवाल उठ रहा है कि पिछली बार से छोटी सी सही, लेकिन बीजेपी की इस जीत की वजहें क्या हैं? चलिए, इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं.

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लोगों ने बीजेपी को वोट क्यों दिया?

सबसे पहले इस सवाल का जवाब इंडिया टुडे-एक्सिस माइ इंडिया एग्जिट पोल के आंकड़ों से समझते हैं क्योंकि यह एग्जिट पोल असल नतीजों के काफी करीब दिखाई पड़ रहा है. इस एग्जिट पोल के मुताबिक, यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से बीजेपी+ को 288-326 सीटें मिलने का अनुमान सामने आया था.

इंडिया टुडे-एक्सिस माइ इंडिया एग्जिट पोल के अनुसार, इस बार बीजेपी वोटरों के बीच राज्य का विकास सबसे बड़ा मुद्दा दिखा है. 27 फीसदी बीजेपी मतदाताओं ने पार्टी के लिए वोट करने की वजह यह मुद्दा बताया है.

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इसके अलावा बीजेपी मतदाताओं में से 11 फीसदी ने फ्री राशन और 9 फीसदी ने सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ को वोट करने की वजह बताया है.

8 फीसदी बीजेपी मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पार्टी के लिए वोट करने की वजह बताया, जबकि 12 फीसदी ने खुद को बीजेपी का लॉयल वोटर बताया.

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अगर जातिवार आंकड़े देखें तो कुछ जातियों के आंकड़े चौंकाने वाले रहे. जैसे इस एग्जिट पोल के मुताबिक, बीजेपी+ को 21 फीसदी जाटव, 70 फीसदी ब्राह्मण और 47 फीसदी जाट वोट मिलने का अनुमान सामने आया. इन आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी ने बीएसपी का ‘कोर वोट बैंक’ माने जाने वाले जाटव वोट में सेंध तो लगाई ही है, साथ ही जाटों और बाह्मणों में ‘भारी नाराजगी’ की बात को भी बहुत हद तक गलत साबित किया है.

बात महिला वोटरों की करें तो इंडिया टुडे-एक्सिस माइ इंडिया एग्जिट पोल के मुताबिक, उन्होंने बीजेपी+ को 48 फीसदी वोट किया, जबकि उसके मुख्य प्रतिद्वंदी एसपी+ के लिए यह आंकड़ा महज 32 फीसदी ही रहा.

‘बीजेपी के काम आए तीन बड़े एक्स-फैक्टर’

हाल ही में यूपी तक के साथ खास बातचीत में CSSP के डायरेक्टर डॉ. एके वर्मा ने अपने सेंटर की पोस्ट-पोल स्टडी के आधार पर बीजेपी के पक्ष में इन ‘तीन बड़े एक्स-फैक्टर’ का जिक्र किया था- महिला वोटर, जाटव वोटर और जाट वोटर.

उन्होंने कहा था कि

  • ”पिछले चुनाव में 41 फीसदी महिलाओं ने बीजेपी को वोट दिया था. इस बार 51 फीसदी महिलाओं ने बीजेपी को वोट दिया है.”

  • ”पहले 85 फीसदी जाटव बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को वोट दिया करते थे. इस बार 24 फीसदी जाटव मतदाताओं का मूवमेंट बीजेपी की तरफ दिखाई दे रहा है.”

  • ”सीएसडीएस के मुताबिक, 2019 में 91 फीसदी जाटों ने बीजेपी को वोट दिया था. इस बार 71 फीसदी जाटों ने बीजेपी को वोट दिया है, जबकि 2017 में 34 फीसदी जाटों ने बीजेपी को वोट दिया था.”

ये दो पहलू भी अहम

इसके अलावा और भी दो ऐसे पहलू हैं, जो बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाते दिखते हैं. इनमें से पहला पहलू यह है कि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में लगातार अपने संगठन का विस्तार किया है. अगर यह कहा जाए कि इस चुनाव में वोटर तक पहुंच रखने के मामले में बीजेपी का संगठन दूसरे दलों पर भारी पड़ा है तो गलत नहीं होगा. दूसरा पहलू है ‘हिंदुत्व की छतरी’ वाला, जिसे बीजेपी 2014 से ही लगातार सफलतापूर्वक भुना रही है.

इस यूपी विधानसभा चुनाव में भले ही हिंदुत्व का मुद्दा मीडिया में ज्यादा न उछला हो (क्योंकि कोई बड़ा विवाद सामने नहीं आया), लेकिन जमीन पर बीजेपी ने कहीं न कहीं इस मुद्दे को जिंदा रखने की भरपूर कोशिश की, भले ही राम जन्मभूमि मंदिर की बात हो या फिर ”अयोध्या-काशी के बाद अब मथुरा की बारी” जैसी बातें हों.

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