यूपी चुनाव: दलबदल करने वाले नेता दिखा पाएंगे अपना दम? जानिए किस-किसकी प्रतिष्ठा दांव पर
उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कई नेताओं ने दलबदल किया था. किसी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) छोड़कर समाजवादी पार्टी…
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उत्तर प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कई नेताओं ने दलबदल किया था. किसी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) छोड़कर समाजवादी पार्टी (एसपी) का दामन थामा था, तो कोई बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) छोड़कर एसपी में शामिल गया था. कोई कांग्रेस और अन्य दलों से बीजेपी में आया.
बता दें कि मौजूदा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 5 चरण का मतदान पूरा हो चुका है, अब दो चरण की वोटिंग बाकी है. आगे होने वाले मतदान में कई बागी और दलबदल करने वाले नेताओं की परीक्षा होनी है.
इनमें सबसे पहला नाम स्वामी प्रसाद मौर्य का है. स्वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर की पडरौना सीट से विधायक रहे और बीजेपी सरकार में मंत्री रहे. मौर्य वोट बैंक का बड़ा चेहरा और बीजेपी से एसपी में गए स्वामी प्रसाद मौर्य अब फाजिलनगर से चुनाव लड़ रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने ठीक चुनाव से पहले बीजेपी को बाय-बाय कर साइकिल की सवारी कर ली थी.
स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा बीजेपी सरकार के दूसरे मंत्री दारा सिंह चौहान ने समाजवादी पार्टी जॉइन की थी. मऊ की मधुबन सीट दारा सिंह चौहान की प्रतिष्ठा का सवाल बनी है.
इस बार के बागियों की फेहरिस्त में ज्यादा नाम बीजेपी के खेमे के हैं. हालांकि बीजेपी कहती है की ये जनाधार खो चुके नेता हैं, इनके जाने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा. उसका कहना है कि टिकट कटने के डर से बहुत से नेताओं ने पार्टी छोड़ी है.
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इसी लिस्ट में और नाम भी हैं, जिसमे अंबेडकरनगर में बीएसपी छोड़कर एसपी में शामिल हुए राकेश पांडे जलालपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. राम अचल राजभर बीएसपी छोड़कर एसपी के टिकट पर अकबरपुर से चुनाव मैदान में हैं. लालजी वर्मा भी बीएसपी छोड़कर एसपी से कटेरी में चुनाव लड़ रहे हैं.
विनय शंकर तिवारी बीएसपी छोड़कर एसपी में शामिल होकर चिल्लूपार सीट से चुनाव मैदान में हैं. तो वहीं बलिया की बैरिया सीट से बीजेपी विधायक और अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले सुरेंद्र सिंह भी बागी हो गए. सुरेंद्र सिंह बैरिया सीट से वीआईपी पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.
बलिया की बांसडीह सीट से, एसपी गठबंधन में शामिल एसबीएसपी से बीएसपी में शामिल हुईं मानती राजभर भी चुनाव मैदान में हैं.
इन सब के इतर कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर रहे आरपीएन सिंह की प्रतिष्ठा भी कुशीनगर में दांव पर है. पिछले दिनों आरपीएन सिंह ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा था. आरपीएन सिंह खुद तो चुनाव नहीं लड़ रहे, लेकिन कुशीनगर में बीजेपी की हार या जीत का परिणाम आरपीएन सिंह के राजनीतिक कद का फैसला करेगी. बागियों की फेहरिस्त में आरपीएन सिंह और स्वामी प्रसाद मौर्य आमने-सामने हैं.
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दारा सिंह चौहान के समाजवादी पार्टी में जाने से लोनिया चौहान का वोट कितना समाजवादी होगा? विनय शंकर तिवारी के एसपी में जाने से कितना ब्राह्मण वोटर समाजवादी पार्टी में जाएगा या फिर लालजी वर्मा और राम अचल राजभर कितना कुर्मी और राजभर वोट बैंक अपने साथ ले जाएंगे, यह तो चुनावी नतीजे तय करेंगे लेकिन समय के साथ निष्ठा और पार्टी बदलने वाले हर बागी का दावा है कि वह पहले वाले का नुकसान करेंगे, दूसरे वाले की सरकार बनाएंगे.
स्वामी प्रसाद मौर्य तो दावा कर रहे हैं कि यूपी में बीजेपी सौ का आंकड़ा भी नहीं पार करेगी. यूपी की सियासत को लंबे समय से देख रहे योगेश मिश्रा कहते हैं कि बागियों ने तो हमेशा गुल खिलाए हैं, इस बार बीजेपी से ज्यादा बागी निकल कर गए हैं ऐसे में देखना होगा कि योगी आदित्यनाथ के इलाके में बागी कितना करिश्मा दिखाते हैं या योगी-मोदी बागी नेताओं के प्रभाव को कितना कम कर पाते हैं.
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