योगी को हराने का दावा कर रहे OP राजभर की अपनी ही सीट फंसी? शादाब फातिमा ने बढ़ाई टेंशन

विनय कुमार सिंह

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गाजीपुर

‘कितना भी पकड़ लो, ये फिसलता ज़रूर है, ये वक़्त है साहब, बदलता ज़रूर है.’ ये मशहूर लाइनें हमने कई बार सुनी हैं, लेकिन हम इसे वर्तमान विधानसभा चुनावों में गाजीपुर की जहूराबाद सीट से जोड़कर आपको सुना रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने यह सीट गठबंधन सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को सौंपी है. इस सीट से खुद ओम प्रकाश राजभर उतरे हुए हैं, लेकिन एक जमाने में एसपी की कद्दावर नेता और फिलहाल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी की शादाब फातिमा ने यहां चुनावी पेच फंसा दिया है.

खबर है कि पूर्व राज्य मंत्री और जहूराबाद सीट से एसपी विधायक रह चुकीं शादाब फ़ातिमा राजभर के खिलाफ निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगी. ये घोषणा उन्होंने जहूराबाद क्षेत्र की जनता के बीच पहुंच कर की है. उन्होंने कहा है कि सपा ने समझौते में ये सीट ओमप्रकाश राजभर को दे दी है, तो वे मुझे क्यों देंगे, मैने क्षेत्र को संवारा और सजाया है, मैं ऐसे ही छोड़ नहीं सकती.

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कौन हैं शादाब फातिमा?

शादाब फातिमा मूल रूप से गाजीपुर के जहूराबाद क्षेत्र के मशहूर गंगौली गांव की हैं. 2002 में वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाज़ीपुर सदर क्षेत्र से पहली बार विधायक बनीं. 2012 में अपने गृह क्षेत्र जहूराबाद से सपा के टिकट पर ही ओमप्रकाश राजभर को हरा कर जीतीं थी और अखिलेश के शासन में राज्यमंत्री बनीं. 2017 में सपा में अंदरूनी कलह के चलते शादाब फ़ातिमा की जगह महेंद्र चौहान को प्रत्याशी बनाया गया. तब राजभर बीजेपी के साथ थे और उन्होंने जहूराबाद की सीट को जीत लिया था.

राजभर इस बार बीजेपी को छोड़ सपा के साथ मिलकर चुनाव मैदान में हैं. उनके जहूराबाद से ही चुनाव लड़ने की आधिकारिक घोषणा भी हो चुकी है. इसके बाद शादाब फातिमा ने बागी प्रत्याशी के रूप में निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है. इतना ही नहीं, वह क्षेत्र में पहुंचकर जनसंपर्क भी कर रही हैं. आपको बता दें कि गाजीपुर की 7 विधानसभा सीटों पर 7 मार्च को वोटिंग होनी है. ऐसे में शादाब फातिमा की दावेदारी ने जहूराबाद सीट की लड़ाई को रोचक मोड़ पर ला खड़ा कर दिया है.

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