गोरखपुर के लोग मुख्यमंत्री को हराने का इतिहास दोहराएंगे: चंद्रशेखर आजाद

भाषा

ADVERTISEMENT

UpTak
UpTak
social share
google news

गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने कहा है कि इस बार गोरखपुर के लोग 1971 के उस इतिहास को दोहराएंगे जब एक मुख्यमंत्री को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.

अपनी जीत की उम्मीद जताते हुए आजाद ने यह भी कहा कि 36 छोटे दलों के गठबंधन ‘सामाजिक परिवर्तन मोर्चा’ ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है और यह मोर्चा उत्तर प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहा है.

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमें गोरखपुर के इतिहास को देखने की जरूत है… 1971 में तत्कालीन मुख्यमंत्री टीएन सिंह को गोरखपुर के लोगों ने हराया था. इसी तरह, इस बार आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं और वह उत्तर प्रदेश एवं गोरखपुर की पिछले पांच साल में हुई तबाही के लिए जिम्मेदार हैं.’’

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की बातचीत सफल नहीं होने के बाद आजाद ने छोटे दलों का गठबंधन बनाया है.

उनका कहना है, ‘‘मैं सपा के साथ गठबंधन करना चाहता था ताकि भाजपा को रोका जा सके. जब उन्होंने हमारा हिस्सा देना नहीं चाहा तो हमने इनकार कर दिया.’’ उन्होंने वोट काटने के आरोपों से इनकार करते हुए कहा, ‘‘मैं यह कहता हूं कि सपा अपना काम कर रही है और हम अपना काम कर रहे हैं. मुझे सपा से कोई दिक्कत नहीं है.’’

आजाद ने कहा, ‘‘2012 में लोगों ने सपा की सरकार बनाई. सपा सरकार से निराश होने के बाद लोगों ने भाजपा को मौका दिया. इसलिए सपा की वजह से भाजपा सत्ता में आई.’’ उन्होंने दावा किया कि लोग इस बार फिर से वही गलती नहीं दोहराएंगे.

ADVERTISEMENT

आजाद ने कहा, ‘‘मैं इस चुनाव में उन्हें (योगी आदित्यनाथ को) हरा दूंगा. हमें संठनात्मक ताकत की जरूरत है जो हमारे पास है. उनकी विफलताएं बहुत हैं. यह सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है.’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘अगर मुख्यमंत्री के तौर पर आदित्यनाथ ने इतना अच्छा काम किया है तो वह गोरखपुर क्यों वापस पहुंच गए?’’ आजाद ने दावा किया कि इस बार गोरखपुर की जनता 1971 के इतिहास को दोहराएगी.

ADVERTISEMENT

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस-ओ के नेता त्रिभुवन नारायण सिंह ने अक्टूबर, 1970 में मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी और विधानसभा के सदस्य नहीं थे. गोरखपुर में मणिराम विधानसभा सीट पर 1971 में हुए उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

यूपी चुनाव: योगी के कामकाज पर गोरखपुर में क्या है राय? अहम सियासी समीकरणों को समझिए

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT