MLC चुनाव की आचार संहिता हटते ही UP की ब्यूरोक्रेसी में होंगे ‘बदलाव’, किनके होंगे तबादले?

कुमार अभिषेक

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उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 2.0 गठन के बाद अब ब्यूरोक्रेसी में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. सूबे में 12 अप्रैल को जैसे ही विधान परिषद चुनाव की आचार संहिता खत्म होगी, वैसे ही जिलों से लेकर पंचम तल यानी मुख्यमंत्री कार्यालय तक में प्रशासनिक फेरबदल देखा जा सकेगा. सूबे में आईएएस, आईपीएस, पीसीएस और पीपीएस अफसरों के बड़ी संख्या में तबादले होने हैं, जिसकी रूप रेखा भी तैयार की जा रही और अब बस इंतजार चुनाव आचार सहिंता खत्म होने का है.

विधानसभा चुनाव से पहले सूबे के जिन अधिकारियों की ‘निष्ठा’ बदली थी, ऐसे अधिकारी चिह्नित हैं और उनकी रिपोर्ट भी योगी सरकार के पास है. हालांकि कई आधिकारी दोबारा से अपनी ‘निष्ठा’ साबित करने में जुटे हैं, लेकिन डीएम और एसपी को निलंबित कर योगी सरकार पहले ही अपनी मंशा साफ कर चुकी है कि वह निष्ठा बदलने वाले अधिकारियों को किसी भी सूरत में ‘बख्शने के मूड में नहीं है.

सूबे की नौकरशाही में फेरबदल के पहले चरण में बड़े स्तर पर फील्ड में तैनात अधिकारियों के तबादले पाइपलाइन में हैं. इनमें डीएम, एसपी और कमिश्नर के लेवल पर तबादले होंगे. ये बदलाव 12 अप्रैल की रात से लेकर 15 अप्रैल के बीच में हो सकता है. इसके बाद अगले 10 दिनों में सचिव के स्तर पर ब्यूरोक्रेसी में बदलाव की कवायद होनी है, जिसमें कई विभागों के सचिव बदले जा सकते हैं. माना जा रहा है कि एक ही विभाग में तीन साल से अधिक समय से तैनात अफसर हटाए जा सकते हैं.

सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री के स्तर पर नौकरशाही में फेरबदल की तैयारियां चल रही हैं और साथ ही इस बार पंचम तल यानी कि मुख्यमंत्री कार्यालय में भी बदलाव किए जाने हैं. हालांकि, पंचमतल में तैनात अधिकारियों के परफॉर्मेंस से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संतुष्ट हैं. इसलिए पंचमतल के अधिकारियों के बदलाव में कोई जल्दबाजी नहीं की जा रही है, लेकिन पंचम तल में ज्यादातर अधिकारियों के लंबे समय से जमे होने के चलते फेरबदल होना है. फिलहाल अभी प्रशासनिक तौर पर जिले स्तर के अधिकारियों और मंत्री-विभागों के सचिव की तैनाती होनी है.

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माना यह जा रहा है कि सूबे में ज्यादातर मंत्रियों के सचिव और विभागों के प्रधान सचिव मुख्यमंत्री के ही पसंद के होंगे. हालांकि इस बार काम के लिहाज से सीएम योगी मंत्रियों को उनके पसंद के भी नौकरशाह दे सकते हैं. फिलहाल योगी सरकार का 100 दिन का एजेंडा सामने है और 100 दिन में सभी को अपना काम दिखाना है. ऐसे में मंत्रियों की पसंद भी कई ऐसे आईएएस अधिकारी हैं जो काम के लिए जाने जाते हैं.

शासन में तैनात कुछ अफसरों के पास एक से अधिक विभाग का दायित्व फिलहाल है. नए निजाम में इनमें से कुछ की जिम्मेदारियों में बदलाव संभव है. मंत्रियों को विभाग मिलने के बाद सबसे पहले शासन में बैठे अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों के तबादले की तैयारी है. उच्च स्तर पर इसके लिए मशक्कत शुरू हो चुकी है. माना जा रहा है कि प्रमुख पदों पर बैठे कई आईएएस अफसरों के दायित्वों में फेरबदल होगा. खासकर, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य, सिंचाई, उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा, ऊर्जा जैसे विभागों के अफसरों को लेकर चर्चाएं चल रही हैं.

लखनऊ, वाराणसी, इटावा और अलीगढ़ के जिलाधिकारी सचिव रैंक में प्रमोट हो चुके हैं, लेकिन अभी भी जिलाधिकारी की भूमिका निभा रहे हैं. ऐसे में अब इन्हें मंडलायुक्त/सचिव की जिम्मेदारी सौंपी जानी है. वहीं, अपर मुख्य सचिव स्तर के चार वरिष्ठ अधिकारी 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं. इनमें कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा, राजस्व परिषद अध्यक्ष मुकुल सिंघल, अपर मुख्य सचिव खाद्य प्रसंस्करण एवं उद्यान और नई दिल्ली में तैनात यूपी के स्थानिक आयुक्त प्रभात सारंगी शामिल हैं. आलोक सिन्हा के पास अपर मुख्य सचिव ऊर्जा का भी चार्ज है. इस तरह इन चार अफसरों के रिटायर होने पर नए अफसरों को यह जिम्मेदारी मिलना तय है.

बता दें पिछली बार सरकार बनते ही अधिकारियों ने पोस्टिंग के लिए सभी ओर से ‘लॉबिंग’ की थी, लेकिन इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक-एक अधिकारी के बारे में खूब बखूबी जानते हैं. इसलिए इस बार लॉबिंग का खुला खेल भी नहीं चल रहा है और सभी अधिकारी जो पोस्टिंग चाहते हैं, वह मुख्यमंत्री के पास ही अपनी अर्जी पहुंचने की जुगत में लगे हैं. हालांकि, शासन में बैठे कई ऐसे अफसर हैं, जिन्होंने बेहतर काम किया है. उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी गई उसे अच्छी तरह से निभाया. ऐसे अफसरों को बड़े विभागों की जिम्मेदारी मिल सकती है.

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