UP: कहीं दुकानों में, कहीं जमीन पर लिटा हो रहा बुखार का इलाज, 17 जिलों से ग्राउंड रिपोर्ट

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यूपी में वेक्टर जनित बीमारियों जैसे डेंगू समेत अन्य वजहों से होने वाले बुखार ने व्यापक रूप ले लिया है. यूपी के कई जिले बुखार की चपेट में हैं. यूपी तक की टीन ने प्रदेशभर के 17 जिलों में जाकर बुखार से लोगों की परेशानियों और इंतजामों का जायजा लिया. डेंगू व अन्य बीमारियों में फिरोजाबाद में जहां मौत का आंकड़ा बढ़कर 55 पहुंच गया है, वहीं मथुरा जैसे जिले में मौत के सरकारी आंकड़ों पर संदेह खड़ा हो रहा है क्योंकि अन्य सोर्सेज से आ रही जानकारी में आंकड़े ज्यादा बताए जा रहे हैं. अबतक कानपुर, कासगंज, बहराइच, फर्रुखाबाद और सिद्धार्थनगर में बुखार से मौतों की खबर सामने आई है. कहीं जमीन पर लिटा कर इलाज किया जा रहा है, तो कहीं चौक-चौराहों की दुकानों पर झोलाछाप डॉक्टरों के हाथ में कमान है. पढ़िए यूपी तक की खास ग्राउंड रिपोर्ट…

एटा के गांव में फैला बुखार, चौराहों पर दुकानों में हो रहा इलाज

फिरोजाबाद समेत उत्तर प्रदेश के आसपास के दूसरे जिलों में वायरल बुखार की स्थिति बेकाबू हो रही है. शहरी इलाकों में डेंगू का प्रकोप है तो ग्रामीण इलाकों में बुखार अधिकांश आबादी और उसमें भी ज्यादातर बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है. यूपी तक की टीम ग्राउंड पर पहुंची और हमने सरकार की तैयारियां व जमीनी स्थितियों का जायजा लिया.

आशुतोष मिश्रा की ग्राउंड रिपोर्ट-

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जैसे ही हमने एटा की सीमा में प्रवेश किया तो यहां के हालात चिंताजनक दिखाई पड़ने लगे. कुटियालपुर बाजार में एक दुकान के नीचे 26 साल के श्री कृष्ण लेटे हैं जिनके हाथों में ड्रिप लगी है. दुकान दवा की है, लेकिन दवा के अलावा और भी बहुत कुछ बिकता है. मौके पर तो डॉ. नहीं हैं लेकिन वायरल और कमजोरी से ग्रस्त श्री कृष्ण का यहां ऐसे ही इलाज चल रहा है. दुकान पर काम करने वाले शख्स ने बताया कि डॉ. साहब उनके भाई लगते हैं लेकिन वह फिलहाल यहां है नहीं इसलिए वही ड्रिप लगा रहे हैं, उतार रहे हैं.

एक चौराहा पार करके अब हम दूसरे चौराहे पर बढ़े. इलाके का नाम है बहानपुर और यहां जो तस्वीर दिखाई देती है वह बेहद चिंताजनक है. ना अस्पताल है, ना दवा की दुकान है और ना कोई चिकित्सा केंद्र, लेकिन बड़ी संख्या में महिला और पुरुष मरीज अलग-अलग तख्त पर लेटे हैं जिनका इलाज चल रहा है. कोई खाद बेचने वाली दवा के नीचे बैठा है तो कोई ब्यूटी पार्लर के सामने. डॉक्टर के नाम पर यह भी नहीं पता कि जो दवा देने वाला है वह झोलाछाप है या विशेषज्ञ.

औनघाट से आए विष्णु बताते हैं कि ज्यादातर लोगों को प्लेटलेट्स कम होने की शिकायत है और अधिकतम तीव्र बुखार से पीड़ित हैं लेकिन कोई व्यवस्था ना होने के चलते वह यहां इस अवस्था में इलाज करवाने आ रहे हैं. विष्णु कहते हैं कि उनके गांव में हर घर में बुखार फैला हुआ है.

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डॉक्टर नहीं है तो मरीजों के तीमारदार ही या तो ड्रिप लगा रहे हैं या सलाइन उतार रहे हैं. एक मरीज के बेटे से हमने पूछा तो उसने कहा डॉ. साहब हैं नहीं और पिताजी को शौचालय जाना है इसलिए हमें ही ड्रिप उतारनी पड़ रही है.

यह स्थिति प्रदेश में और जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर रही है कि जब इतने सारे लोग तीव्र बुखार से पीड़ित हैं तो बंदोबस्त उनके इलाज का क्यों नहीं है. बहानपुर एटा शहर से ज्यादा दूर नहीं है कि डॉक्टरों की टीम यहां न भेजी जा सके, लेकिन लोग कथित डॉक्टरों से जान जोखिम में डालकर इलाज करवाने पर मजबूर हैं. सिर्फ एक जगह ही नहीं बल्कि सड़क की तरफ दूसरी दुकान में भी इलाज के नाम पर यही हो रहा था लेकिन जैसे ही कैमरा दुकान की और बढ़ा डॉक्टर ने शटर गिराया, मरीज अंदर ही छोड़ दिए और खुद फरार हो गया. अगल बगल के दुकान वालों ने कैमरे के सामने चुप्पी साध ली या चलते बने.

स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर बुखार का इलाज कैसे हो रहा है यह आपने देख लिया. अब आपको औनघाट गांव लिए चलते हैं जहां से सबसे ज्यादा मरीज इस चौराहे पर इलाज करवाने आ रहे हैं. गांव में एक अजीब सन्नाटा पसरा है. यहां भी कहानी वही है जो दूसरे जिलों में है. ज्यादातर लोग बुखार से पीड़ित हैं. किसी का प्लेटलेट्स कम हुआ है तो कोई कहता है कि डेंगू की शिकायत है. औनघाट गांव के निवासी कुलदीप ने यूपी तक को बताया कि यहां बुखार का प्रकोप फैला हुआ है लेकिन प्रशासन की ओर से इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. कुलदीप बताते हैं आखिरी बार स्वास्थ्य कर्मियों की टीम 15 दिन पहले आई थी लेकिन उसके बाद जब से यह आपदा बड़ी है तब से कोई हाल पूछने नहीं आया इलाज तो दूर की बात है.

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हरिओम के घर में 5 सदस्य बुखार से पीड़ित हैं. उनकी पत्नी और 4 बच्चे घर में दवाइयों के सहारे चल रहे हैं. हरिओम कहते हैं कि उनकी पत्नी का प्लेटलेट्स गिर चुका है और डॉक्टर ने कहा है कि इलाज करवाने निजी अस्पताल ले जाएं, लेकिन उनके पास इलाज करवाने के पैसे भी नहीं हैं. हरिओम का कहना है कि जो कुछ बचा था इलाज में लग गया और आगे पास के चौराहे से दवा लाकर घर वालों का घर में ही इलाज कर रहे हैं. हरिओम की तरह राधेश्याम के घर में भी तस्वीर ऐसी ही है. घर के चार सदस्य बुखार से पीड़ित हैं और उनकी गली में लगभग हर घर में मरीज मौजूद है. राधेश्याम कहते हैं कि आसपास कोई व्यवस्था नहीं है तो दवा के लिए कहां जाएं, इलाज कहां करवाएं. उनकी बहू को लगता है कि जिस तरह का बुखार है ऐसे में यह मलेरिया का लक्षण हो सकता है इसलिए चौराहे से आई दवा से इलाज हो रहा है.

ग्रामीण इलाकों में संकट ज्यादा है लेकिन न तो टेस्टिंग की व्यवस्था है ना ही इलाज की. वायरल फीवर के नाम पर हल्ला तो है लेकिन बुखार की वजह और लक्षण के नाम पर सब कुछ रहस्य बन कर रह गया है. छोटे कस्बों और गांवों में हालात गंभीर हैं और तत्काल मदद के इंतजार में हैं इससे पहले कि हालात और बिगड़ जाएं.

बदायूं के दर्जनों गांव में फैला वायरल फीवर

बदायूं के दातागंज सहित कई क्षेत्र के दर्जनों गांव वायरल फीवर से प्रभावित हैं. ग्रामीण इलाकों के लोग वायरल फीवर की चेपट में तेजी से आ रहे हैं. अस्पतालों में छोटे बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही हैं. गंगा क्षेत्र के इलाकों में हर दिन 100 से अधिक बच्चों की जांच की जा रही हैं. वायरल फीवर के साथ डेंगू के भी मरीज मिल रहे हैं.

सीएमओ बदायूं विक्रम सिंह का कहना है कि हमारे द्वारा लगातार गंगा क्षेत्र वाले इलाकों में डॉक्टरों की टीम में जा रही हैं और जांच की जा रही है. दवा का प्रबंध कराया जा रहा है और लगातार बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में सभी को साफ सफाई और गंदगी ना करने पर जोर दिया जा रहा है.

मथुरा में बुखार का कोहराम, 12 गांव हॉटस्पॉट घोषित

मथुरा में भी वायरल फीवर ने कोहराम मच रखा है. जिले में डेंगू, मलेरिया, स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी का प्रकोप जारी है. जिले के 7 गांव कोंह, दघेंटा , फूलघाडी , रूपनगर , जचौद , जनसूटी और भड़ावली चपेट में हैं. वायरल बुखार और डेंगू से अब तक 12 की मौत हो चुकी है.

प्रशासन ने 12 गांव को हॉटस्पॉट घोषित कर दिया है. कोविड-19 प्रभारी डॉ. भूदेव सिंह का कहना है कि जनपद में अभी तक डेंगू से 258 मरीज पाए गए हैं. उन्होंने कहा कि मथुरा में स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और लोगों का बेहतर उपचार किया जा रहा है.

फिरोजाबाद में डेंगू से अब तक 55 की मौत

फिरोजाबाद में बुखार से मौतों का सिलसिला जारी है. फिरोजाबाद सीएमओ की प्रेस रिलीज में बताया गया है कि पिछले 24 घंटे में एक और मौत हुई है और अब मृतकों की संख्या 55 हो गई हैं. जिले में अभी तक डेंगू के 58 मामले सामने आ चुके हैं.

बता दें कि फिरोजाबाद में बुखार के कहर के बीच केंद्र की टीम ने पाया है कि यहां ज्यादातर केस की वजह डेंगू है, जबकि कुछ मामलों का कारण स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस है. केंद्र की इस टीम को फिरोजाबाद में बुखार के कहर की वजह पता लगाने के साथ-साथ इसकी रोकथाम के लिए उपाय सुझाने के लिए भेजा गया था.

कासगंज में पांच की मौत, डॉक्टरों की है कमी

कासगंज में रहस्यमयी बीमारी से तीन बच्चे समेत पांच लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद जिले में हडकंप मच गया है. जिला प्रशासन ने इस रहस्यमयी बीमारी को खोजने और इस बीमारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि जिले में अभी तक कोई भी डेंगू के मामले सामने नहीं आए हैं. जिला अस्पताल के वरिष्ठ परामर्शदाता आनंद कुमार डॉक्टरों की कमी की बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि जिला अस्पताल में 25 चिकित्सकों के सापेक्ष मात्र पांच चिकित्सक हैं.

7 सितंबर को 100 शैय्या जिला अस्पताल में मरीजों की लंबी-लंबी लाइने लगी दिखी. जनरल ओपीडी में 740 मरीजों को देखा गया. अधिकतर बुखार, खांसी-जुकाम और टाइफायड जैसे लक्षणों वाले मरीज अधिक सामने आ रहे हैं.

जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने बताया कि डेंगू बुखार से डरने की जरूरत नहीं है. कोविड कन्ट्रोल रूम को ही डेंगू कंट्रोल रूप में सक्रिय कर दिया गया है. डेंगू के सम्बन्ध में कोई भी सूचना हो तो तुरंत कन्ट्रोल रूम पर इसकी जानकारी दी जाए. सभी नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि अपने आसपास साफ सफाई रखें और ऐहतियात बरतें. कूलरों की टंकियों में पानी न रखें. मच्छर न पनपने दें. पूरी आस्तीन के कपड़े पहने. हैण्डपम्पों के आस-पास कीचड़ और जलभराव न होने दिया जाए.

फर्रुखाबाद में अब तक 9 की मौत, दो दर्जन गांवों में असर

फर्रुखाबाद जिले में कमालगंज विकास खण्ड के लगभग दो दर्जन गांवों में बुखार का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. हालात यह है कि हर गांव में दर्जनों ग्रामीण बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. फर्रुखाबाद के जरारी, पटौंजा, मूसाखिरिया, कोठी आदि गांवो से यह बुखार निकल कर पड़ोस के गांव बिड़ेल में पहुच गया है.

फर्रुखाबाद के सीएमओ ने बताया कि स्वास्थ विभाग की टीम लगभग 10 गांवों में परीक्षण कर चुकी हैं. अधिकांश मरीज वायरल बुखार से पीड़ित हैं. जहां से सूचना मिलती है, उस गांव में टीम जाकर परीक्षण करती है. अब तक 9 लोगों की मौत की बुखार से हुई है.

श्रावस्ती में स्क्रब टायफस और डेंगू के केस मिले

श्रावस्ती जिले में भी बुखार से प्रतिदिन 2 हजार से 2200 तक मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं. जिले में दो मरीजो में डेंगू के लक्षण पाए गए हैं जिनमे से एक महिला मरीज रिकवर हो चुकी है, जबकि एक मरीज की लखनऊ में मौत हो गई है.

सीएमओ एपी भार्गव ने बताया कि पूरे प्रदेश में इस मौसम में बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. सामान्य तौर पर जो बुखार इस समय बढ़ता है बरसात के बाद ही होता है. कुछ नमी और गंदगी के वजह से फैलता है हमारे यहां भी लगभग 2000 से लेकर 2200 तक मरीज डेली बुखार के आ रहे हैं. हमारे यहां कुल 27 जो ईएएस के केसेस की जांच भी हुई है और उनका इलाज भी किया गया है. कुल इसमे से हमारे यहां करीब 8 स्क्रब टायफस और तीन डेंगू के मरीज पाए गए हैं.

सिद्धार्थनगर में 67 बच्चे भर्ती, 2 बच्चों की हुई मौत

सिद्धार्थनगर जिले में वायरल फीवर का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन वायरल फीवर के 60 से 70 मरीज आ रहे हैं. छोटे बच्चे भी काफी संख्या में वायरल फीवर से पीड़ित हो रहे हैं. पीडियाट्रिक आईसीयू वॉर्ड में प्रतिदिन 15 से 20 की संख्या में बच्चे भर्ती किए रहे हैं. बीते एक सप्ताह में पीडियाट्रिक आईसीयू वॉर्ड में 67 बच्चे वायरल फीवर से एडमिट हैं, जिनमें गंभीर स्थिति में होने पर 10 मरीजो को अन्य मेडिकल कालेजों में रेफर किया जा चुका है. जिले में अभी तक वायरल बुखार से 2 बच्चों की मौत हो गई है.

बलिया में मिले 12 डेंगू के मामले

बलिया में भी कोरोना के बाद अब बच्चो में वायरल फीवर और डेंगू से कोहराम मच गया है. बच्चों को ओपीडी में इलाज कराने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगी हैं. नोडल अधिकारी डॉ. आनंद कुमार ने कहा कि जिले में 12 डेंगू के मरीज मिले हैं. जिला अस्पताल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि बलिया में वायरल फीवर के 25 परसेंट केस बढ़े हैं.

वाराणसी: डेंगू का बढ़ता कहर, बीएचयू में स्ट्रेचर पर इलाज

वाराणसी में भी वायरल बुखार और डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. डेंगू और बुखार के बढ़ते मामलों के बीच पूर्वांचल का एम्स कहे जाने वाले बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के सभी वॉर्ड फुल हो गए हैं. स्थिति ये हो गई है कि मरीजों को वॉर्ड में भर्ती होने से पहले पूरे-पूरे दिन स्ट्रेचर पर रहकर इंतजार करना पड़ रहा है. बीएचयू अस्पताल का चाहे बाल रोग विभाग हो या फिर इमरजेंसी में आने वाले मरीज डॉक्टर को ओपीडी में दिखाने के लिए उनको भारी जद्दोजहद का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं, वाराणसी के कबीर चौरा मंडलीय अस्पताल के ओपीडी में रोजाना 400-450 रोज मरीज मेडिसिन के आ रहें हैं और वायरल फीवर में डेंगू के भी पेशेंट है. डेंगू के लिए दो वॉर्ड बनाया है. जिसमें सुबह के वक्त कुल 9 मरीज डेंगू के भर्ती हैं. बच्चों के भी दो वॉर्ड हैं. वहीं डेंगू के संदिग्ध मरीज के डेंगू वॉर्ड में भर्ती न करने के सवाल पर कहा कि बेड पर्याप्त है और प्लेटलेट्स भी पर्याप्त हैं. जरूरत के मुताबिक ही प्लेटलेट्स दिया जा रहा है. 10-15 हजार के नीचे ही प्लेटलेट्स दिया जाता है.

बीएचयू अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर केके गुप्ता ने बताया कि हर साल मौसम जनित बीमारी से ग्रसित होकर लोग इलाज के लिए उनके अस्पताल आते हैं. इस साल भी बहुतायत में आ रहे हैं और हम लोग फुल कैपेसिटी में काम कर रहे हैं. जितना मरीजों को भर्ती किया जा सकता है उतना भर्ती किया जा रहा है.

मुजफ्फरनगर में बढ़े वायरल बुखार के मरीज

मुजफ्फरनगर के जिला अस्पताल में जर्नल ओपीडी में रोजाना 100 से ज्यादा बुखार के मरीज मिले रहे हैं. यहां पीड़ित मरीजों और तीमारदारों की भीड़ देखने को मिल रही है. जिला मलेरिया अधिकारी अलका सिंह ने बताया कि जिला अस्पताल की जर्नल ओपीडी में रोजाना 100 के करीब बुखार से पीड़ित मरीज आ रहे हैं, लेकिन हमारे जनपद में अभी तक कोई भी डेंगू या वायरल फीवर का मरीज नहीं पाया गया है. जो भी बुखार से सम्बंधित मरीज यहां आ रहे हैं वे मौसमी बुखार से पीड़ित हैं. जिनका यहां उपचार किया जा रहा है, जो यहां से ठीक होकर जा रहे हैं और अभी तक यहां बुखार से कोई भी मौत नहीं हुई है.

मेरठ में अब तक डेंगू के 30 मरीज

मेरठ के सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो पिछले एक सप्ताह से यहां लगातार बुखार के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही हैं. मेरठ में 7 सितंबर को डेंगू के 9 नए मरीज मिले हैं. मेरठ में भी अब तक 30 लोगों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है. 12 मरीज ठीक हो चुके हैं और 18 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है. जिले में अभी तक बुखार से किसी की कोई मौत नहीं हुई है.

जिला अस्पताल की बात करें तो यहां 1000 से 1500 रोज ओपीडी में आ रहे हैं, जिसमें से बुखार के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं. मेरठ के जिला अस्पताल में डेंगू वॉर्ड तैयार किए गए हैं.

कानपुर: एक ही गांव में बुखार के 200 मरीज, 3 की मौत, विरोध में मार्च

कानपुर में भी डेंगू और अन्य वजहों से लोगों की मौत हुई हैं. एक गांव कुरसौली में ही अकेले 3 लोगों की मौत हुई है. यहां सैकड़ों मरीज बुखार से पीड़ित हैं, 19 में डेंगू की पुष्टि हुई है. मौतों के मुद्दे पर कांग्रेस ने पैदल मार्च निकाल कर सरकार और प्रशासन का विरोध किया. कानपुर साउथ में निकले इस पैदल मार्च की अगुवाई कांग्रेस प्रदेश सचिव विकास अवस्थी ने की. पैदल मार्च के दौरान कांग्रेसियो ने अस्पतालों में बेड और दवा छिड़काव की समुचित व्यवस्था की मांग की. कहा गया कि कानपुर साउथ में भाजपा का कार्यालय बन गया है लेकिन 2 वर्ष पूर्व 100 बीएड का अस्पताल की घोषणा की गई थी उसका काम अभी शुरू भी नहीं किया गया.

बहराइच: अबतक 6 बच्चों की मौत, औसतन 30 बच्चे रोजाना हो रहे भर्ती बहराइच में बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या कम होने का नाम नही ले रही है. मेडिकल कालेज के पेडियारटिक डिपार्टमेंट हेड डॉ मोहम्मद परवेज के मुताबिक पिछले 15 दिनों में पी आई सी यू व जनरल पेडियारटिक में 485 बच्चों को भर्ती कराया गया है. इस दौरान 6 बच्चों की मौत भी हुई है. उनके मुताबिक चिल्ड्रेन वार्ड में औसतन 30 बच्चों को प्रतिदिन भर्ती किया जा रहा है.

हमीरपुर: मरीज बढ़े, बेड फुल, डेंगू को लेकर अलग-अलग बयान

हमीरपुर जिले में इस वक्त वायरल बुखार और सर्दी, खांसी, जुकाम का जबरदस्त प्रकोप चल रहा है. जिला अस्पताल में हर रोज करीब पांच सौ मरीज आ रहे हैं. जिला अस्पताल में डेंगू बुखार के भी 10 केस आ चुके हैं. हमीरपुर के सीएमओ डेंगू की पुष्टि नहीं कर रहे है, जबकि डॉक्टरों के बयान इससे अलग हैं.

प्रयागराज: वेक्टर जनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ा संगम नगरी प्रयागराज में मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के सरोजनी नायडू चिल्ड्रन हॉस्पिटल में एक ही बेड पर तीन-चार बीमार बच्चों के इलाज की खबर आई थी. इमरजेंसी वार्ड से लेकर पीडियाट्रिक आईसीयू तक में क्षमता से कहीं अधिक मरीज भर्ती किए गए थे. हमारी इस खबर का शासन और प्रशासन ने संज्ञान लिया है. कोरोना की थर्ड वेब के लिए मेडिकल कॉलेज के एसआरएन अस्पताल में तैयार किए गए पीकू वार्ड में बच्चों को शिफ्ट किया जा रहा है. अब तक चिल्ड्रेन अस्पताल से 15 बच्चों को एस आर एन अस्पताल के पीकू वार्ड में भर्ती करा दिया गया है. अचानक वेक्टर और जल जनित बीमारियों वायरल, टाइफाइड और मलेरिया से बच्चों के ज्यादा संक्रमित होने के चलते चिल्ड्रेन अस्पताल में क्षमता से ज्यादा बच्चे भर्ती हो गए. कमिश्नर संजय गोयल और डीएम संजय खत्री भी मंगलवार को पीकू वार्ड पहुंचे और उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो एस पी सिंह के साथ पीकू वार्ड का निरीक्षण किया. कमिश्नर ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर एसपी सिंह को बीमार बच्चों के समुचित इलाज और दवाइयों के भी इंतजाम करने का निर्देश दिया है.

बस्ती: एक बेड पर दो-दो बच्चे, यहां तक कि फर्श पर भी लिटाकर हो रहा इलाज

बस्ती में बच्चों में वायरल फीवर का मामला बढ़ता जा रहा है. जिला अस्पताल में रोज बुखार से पीड़ित 40 से 50 बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. चिल्ड्रेन वार्ड में एक बेड पर दो- दो बच्चों का इलाज किया जा रहा है. बीमार बच्चों की संख्या बढ़ने से बच्चों क फर्श तक पर लिटा कर उनका इलाज किया जा रहा है. जिला अस्पताल के एसएनसीयू के इंचार्ज डा0 विजय यादव ने बताया कि उनके सहित पूरा स्टाफ बच्चों के इलाज में जुटा हुआ है. जिला महिला अस्पताल के पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के हेड डा0 पीके श्रीवास्तव ने बच्चों में बढ़ रही बीमारी को देखते हुए विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है. बताया कि यह एक तरीके का वायरल है, जिससे बचाव करना बहुत जरूरी है. यदि घर में किसी एक बच्चे को वायरल होता है तो दूसरे बच्चे को दूसरे जगह पर आइसोलेट करना चाहिए, जिससे वह इसकी चपेट मे न आने पाए.

(एटा से आशुतोष मिश्रा, बदायूं से अंकुर चतुर्वेदी, मथुरा से मदन गोपाल, फिरोजाबाद से सुधीर शर्मा, कासगंज से आर्येंद्र सिंह, फर्रुखाबाद से फिरोज खान, श्रावस्ती से पंकज वर्मा, सिद्धार्थनगर से अनिल तिवारी, बलिया से अनिल अकेला, वाराणसी से रौशन जायसवाल, मेरठ से उश्मान चौधरी के इनपुट्स के साथ)

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