UP: ब्यूरोक्रेसी में हुए बड़े बदलाव के जरिए सियासी बैलेंस की कोशिश? जानिए इनसाइड स्टोरी

कुमार अभिषेक

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UP News: यूपी में टॉप ब्यूरोक्रेसी के बदलाव को उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार के भीतर एक सियासी बैलेंस की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. बता दें कि दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक अपने विभाग के सचिवों से नाराज थे. कई मौकों पर ब्रजेश पाठक अमित मोहन प्रसाद के खिलाफ और केशव मौर्य मनोज सिंह के खिलाफ अपनी बातें पार्टी फोरम के भीतर और सार्वजनिक तौर पर रख चुके थे. इसी के चलते सरकार के भीतर सियासी बैलेंस कुछ इस तरह बनाया गया कि सभी खेमों की नाराजगी दूर हो जाए. यानी दोनों उपमुख्यमंत्रियों की नाराजगी के बाद उनके सचिवों को बदल दिया गया, तो मुख्यमंत्री के गवर्नेंस एजेंडे के हिसाब से उनके विश्वस्त अधिकारी संजय प्रसाद को गृह और सूचना विभाग दिया गया.

आपको बता दें कि वरिष्ठ IAS अधिकारी अवनीश अवस्थी 31 अगस्त को रिटायर हुआ और 1 सितंबर को उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में एक बड़ा बदलाव आ गया. अवनीश अवस्थी को सेवा विस्तार दिए जाने की अटकलों पर विराम लगने के 24 घंटे के भीतर ही ब्यूरोक्रेसी के भीतर हुए इस बड़े बदलाव को किलेबंदी के तौर पर भी देखा जा रहा है.

नवनीत सहगल जोकि यूपी के ताकतवर नौकरशाहों में शुमार रहे हैं, उन्हें अचानक ही किनारे लगा दिया गया. एसीएस सूचना और एसीएस एमएसएमई के पद पर तैनात रहे नवनीत सहगल को खेलकूद विभाग का एसीएस नियुक्त किया गया है. इस इस फैसले को नवनीत सहगल के खिलाफ देखा जा रहा है और माना जा रहा है कि उन्हें सरकार ने पूरी तरीके से फिलहाल किनारे लगा दिया.

गोरखपुर के डीएम रह चुके हरिओम ने मुलायम सरकार के दौरान योगी आदित्यनाथ की गिरफ्तारी के वक्त उनके खिलाफ सरकारी कार्रवाई की थी. उन्हें भी सालों की गुमनामी के बाद अब मुख्यधारा में लौटने का मौका मिला है.

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गौरतलब है कि जब पहली बार योगी सरकार आई थी, तब 5 साल हरिओम बिल्कुल किनारे लगा दिए गए थे. मगर हाल के दिनों में उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से कई मुलाकातें भी की थीं. नई सरकार में नई जिम्मेदारी के साथ उनका पुनर्वास हुआ है.

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