मऊ: मां की कैंसर से मौत, पिता को मारा लकवा, मामा ने ठेला लगाकर उठाया पढ़ाई का खर्च अब बेटा बना DSP
Uttar Pradesh News: मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है’…ये पंक्तियां…
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Uttar Pradesh News: मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है’…ये पंक्तियां उत्तर प्रदेश के मऊ में रहने वाले अरविंद सोनकर पर सटीक बैठती हैं. अरविंद को उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में उसे 86वां रैंक मिला है. बेहद गरीबी में पले-बढ़े अरविंद सोनकर की कामयाबी के पीछे उनके पूरे परिवार की मेहनत और अथक परिश्रम शामिल है. उनके पिता ठेले पर फल बेचते थे.
अरविंद के पिता बेचते हैं फल
मऊ नगर क्षेत्र के नासोपुर गांव के रहने वाले अरविंद की इस सफलता पर पूरा परिवार खुश है. अरविंद के परिवार में पिता गोरख सोनकर, पांच बहन और दो भाई हैं. अभी दो महीने पहले अरविंद की माता का निधन हो गया था. नसोपुर गांव के रहने वाले गोरख सोनकर मऊ शहर के भीटी मोहल्ले में सड़क के किनारे फल बेंचकर अपना परिवार चलाते है. अरविंद की प्राथमिक शिक्षा मऊ के रामस्वरूप भारती इंटर कालेज से हुई और फिर स्नातक की शिक्षा इलाहाबाद में करते हुए सिविल सेवा की तैयारी में जुट गए.
मां की मौत में भी नहीं टूटा हौसला
पढ़ाई के प्रति अपने बेटे की लगन देखकर पिता और भाई कड़ी मेहनत कर गर्मी, सर्दी , बरसार में ठेले के ऊपर पालीथीन लगाकर सड़क के किनारे फल बेचा और अरविंद की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी. अभी दो महीने पहले ही अरविंद की मां का कैंसर के कारण देहांत हो गया. कुछ दिन बाद ही पिता गोरख को भी लकवा मार दिया. अब अरविंद की पढ़ाई का खर्च चलाना मुश्किल हो गया था. इस मुश्किल घड़ी में अरविंद के मामा ने उनका साथ दिया और पढ़ाई का खर्च उठाया.
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बेहद तंग हालात में की पढ़ाई
अरविंद के इस सफलता के बाद क्षेत्र के लोगों का उनके परिवार को बधाई देने के लिए तांता लगा हुआ है. आज भी अरविंद के घर की हालत यह है की इनके परिवार का खाना लकड़ी वाले चूल्हे पर बनता है. कहते हैं कि कुछ कर गुजरने का हौसला यदि ठान लें तो परिस्थितियां आड़े नहीं आती,आज इसी को चरितार्थ करते हुए अरविंद ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग में 86 वां स्थान पाकर डीएसपी जैसे प्रशासनिक पोस्ट को पाया है.
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