UP चुनाव: हर कोई एक-दूसरे को बता रहा ‘BJP की टीम’, इस दांव से किसका फायदा, किसे नुकसान?

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उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अब कुछ महीनों का ही वक्त बचा है. प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. आए दिन तमाम नेता और उनके समर्थक अपने-अपने नफा-नुकसान को देखते हुए दल बदलते नजर आ रहे हैं. इसी बीच राज्य के तमाम राजनीतिक दलों के बीच जुबानी जंग भी तेज हो गई है. इस दौरान एक बात यह भी नजर आई कि प्रदेश का हर प्रमुख विपक्षी दल एक-दूसरे को बीजेपी की टीम बताने पर आमादा है. चाहे वह समाजवादी पार्टी हो, बहुजन समाजवादी पार्टी या फिर कांग्रेस, हर कोई एक दूसरे को बीजेपी का करीबी बता रहा है.

दरअसल इस बात की शुरुआत हुई जब एसपी अध्यक्ष अखिलेश ने एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘जो कांग्रेस है वही बीजेपी है, जो बीजेपी है वही कांग्रेस है’. कांग्रेस ने इसके जवाब में कहा कि ‘नई हवा है, जो भाजपा है वही सपा है. वहीं दूसरी ओर मायावती ने कहा कि सपा-बीजेपी एक दूसरे की पूरक हैं.

अखिलेश के इस बयान पर कांग्रेस ने किया था पलटवार

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा था कि कांग्रेस और भाजपा के बारे में समाजवादियों का यही मानना है कि जो कांग्रेस है, वही भाजपा है और जो भाजपा है वही कांग्रेस है. अखिलेश यादव के बयान के बाद कांग्रेस ने ट्विटर पर मोर्चा खोल दिया. यूपी कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर सीएम योगी आदित्यनाथ, पूर्व सीएम अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव की फोटो अपलोड करते हुए उन पर करार हमला बोला. कांग्रेस ने अपने ट्वीट में लिखा, “काजू भुने प्लेट में, मिनरल वाटर गिलास में. नकली समाजवाद उतरा है, योगी के आवास में. ईडी-आयकर से बचने के लिए संघर्ष करते हुए अखिलेश जी की एक शानदार तस्वीर.”

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हालांकि कांग्रेस द्वारा ट्वीट की गई यह तस्वीर जून 2019 में उस समय की है जब यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का हालचाल जानने उनके पांच विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पर गए थे. उस वक्त वहां अखिलेश यादव और शिवपाल यादव भी मौजूद थे.

इसी के साथ एक अन्य ट्वीट में यूपी कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी पर पलटवार करते हुए कहा है- जी नई हवा है, जो भाजपा है. वही सपा है. कांग्रेस ने अपने ट्वीट में आगे लिखा है, “इसलिए मुलायम सिंह जी का साथ मोदी जी को मिल रहा है. बिलरिया गंज और आजम खान पर आपका मुंह नहीं खुल रहा है. जनता परेशान है, और ड्राइंग रूम में बैठे बैठे आपका भाजपा के साथ फिक्स्ड मैच चल रहा है.”

मायावती बोलीं: सपा-भाजपा एकदूसरे की पूरक

बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी ट्वीट कर कहा कि एसपी और बीजेपी की राजनीति एक-दूसरे के पोषक व पूरक रही है. इन दोनों पार्टियों की सोच जातिवादी व साम्प्रदायिक होने के कारण इनका आस्तित्व एक-दूसरे पर आधारित रहा है.

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हालांकि मायावती का यह ट्वीट एसपी और बीजेपी के बीच जिन्ना को लेकर छिड़ी बहस पर आधारित था. लेकिन ट्वीट का संदेश साफ था कि समाजवादी पार्टी ही बीजेपी की टीम है.

इसी वजह से अपने एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा था, “सपा मुखिया द्वारा जिन्ना को लेकर कल हरदोई में दिया गया बयान व उसे लपक कर भाजपा की प्रतिक्रिया यह इन दोनों पार्टियों की अंदरुनी मिलीभगत व इनकी सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है ताकि यहां यूपी विधानसभा आमचुनाव में माहौल को किसी भी प्रकार से हिन्दू-मुस्लिम करके खराब किया जाए.”

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बीजेपी प्रवक्ता का दावा, बीजेपी से ही सबका मुकाबला

इस बारे में जब हमने बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी से बात की तो उन्होंने कहा कि बीजेपी ही एक अकेली पार्टी है जिससे आगामी विधानसभा चुनावों में सभी दलों का मुकाबला होना है. इसीलिए सारे विपक्षी दल एकदूसरे को बीजेपी से जुड़ा बताकर खुद को राज्य का प्रमुख दल साबित करने की कोशिश में लगे हुए हैं.

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता ने यह भी कहा कि बीजेपी एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने कांग्रेस के साथ कभी भी किसी भी चुनावों में गठबंधन नहीं किया है, सपा-बसपा बैसाखी बनकर कांग्रेस के साथ जा चुकी हैं. इन सबके लिए आगामी विधानसभा चुनाव अपना अस्तित्व बचाने वाली लड़ाई साबित होता जा रहा है. बीजेपी आश्वस्त है कि वह अपना 300 प्लस का लक्ष्य हासिल करके राज्य में अगली सरकार बनाएगी.

कहीं ये मुस्लिम वोटों को रिझाने की रणनीति तो नहीं?

राज्य के चुनावों में खास रुचि रखने वाले और इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर पंकज कुमार इसके पीछे एक खास रणनीति देखते हैं. वह कहते हैं कि यूपी में दूसरी विपक्षी पार्टियों को बीजेपी की टीम बताने के जरिए हर विपक्षी राजनीतिक दल मुस्लिम वोट अपने हक में लाने की कोशिश कर रहा है. दरअसल यूपी के चुनावों में ऐसा माना जाता रहा है कि मुस्लिम वोट बीजेपी को सीधी टक्टर देने वाले के पक्ष में अपना मतदान करता है. ऐसे में विपक्ष का हर दल यही संदेश देने की कोशिश में है कि बीजेपी की टक्कर उसी से हो रही है.

अपनी बात को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि ओबीसी वोट बैंक में बिखराव देखने को मिला है. यह वोट बैंक यादव और अन्य में बंट गया. दलित वोट बैंक भी टूटा. वो जाटव व अन्य में तब्दील हो गया. अब एकमात्र मुस्लिम वोटबैंक ही ऐसा बड़ा वोट शेयर है जो एकमुश्त किसी के पक्ष में जा सकता है और चुनावी परिणाम बदल सकता है.

इसी बारे में जब हमने लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर रहे एस के द्विवेदी से बात की तो उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में फिलहाल बीजेपी एक सशक्त दल है. उन्होंने कहा, ‘बीजेपी का स्वर्णिम काल चल रहा है, हर राजनीतिक दल यह बात अच्छे से समझता है कि वह बीजेपी ही है जिससे चुनावों में सीधी टक्कर होनी है. ऐसे में हर विपक्षी पार्टी को लगता है कि अगर हम दूसरी पार्टी का नाम बीजेपी के साथ जोड़ देंगे तो उनके वोट बैंक में सेंध लगाई जा सकती है.’

राजनीति विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर द्विवेदी ने आगे कहा कि हालांकि इन बयानबाजियों का ज्यादा असर होने वाला नहीं है क्योंकि इन सभी बातों से बीजेपी को ही फायदा होने वाला है. अगर विपक्षी दल चुनावों में बीजेपी को कड़ी टक्कर देना चाहते हैं तो उन्हें इस तरह की बयानबाजी छोड़कर बीजेपी के खिलाफ एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार करना चाहिए. उसके तहत एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए.

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