कांग्रेस ने अपने इस दांव से सपा-बसपा के साथ कर दिया खेल! खैर विधानसभा के बदल गए समीकरण

रजत सिंह

Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है और इसको लेकर सभी पार्टियों की ओर से जोर आजमाई शुरू हो गयी है.

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Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है और इसको लेकर सभी पार्टियों की ओर से जोर आजमाई शुरू हो गयी है.

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Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश की दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है और इसको लेकर सभी पार्टियों की ओर से जोर आजमाई शुरू हो गयी है. सभी पार्टियां 10 सीटों पर अपनी जीत को लेकर सियासी समीकरणों को साधने में जुट गईं हैं.  बीजेपी और  'इंडिया गठबंधन  इन सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. खासकर कांग्रेस ने उपचुनाव में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है और वह 'फायर मोड' में है. 

उत्तर प्रदेश के जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें खैर विधानसभा सीट भी शामिल है. वहीं 'खैर' विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने एक दमदार चाल चल दी है. कांग्रेस के इस दांव को मायावती और अखिलेश यादव दोनों के लिए चुनौती माना जा रहा है. मायावती के प्रत्याशी डॉक्टर चारू केन ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. 

कौन हैं चारू केन

चारू केन जाटव समुदाय से आती हैं, जो इस सीट पर अत्यंत प्रभावशाली है.  वह तेजवीर सिंह की बहू हैं, जो एक बाहुबली व्यक्ति हैं. ऐसे में, वह एक बाहुबली परिवार से ताल्लुक रखती हैं. साल 2022 में, उन्होंने बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था और वह दूसरे स्थान पर रही थीं, उन्हें 65 हजार वोट मिले थे.  कुल मिलाकर, चारू केन एक मजबूत प्रत्याशी हैं और कांग्रेस ने इस सीट पर अपना दावा मजबूत कर लिया है. अब देखना यह है कि समाजवादी पार्टी क्या कदम उठाएगी. एक और बात जो चारू केन को मजबूती प्रदान करती है, वह है उनका जातिगत समीकरण. उनकी शादी जाट परिवार में हुई है और वह खुद जाटव समुदाय से हैं. ऐसे में, जाट और जाटव का गठबंधन इस सीट पर सबसे प्रभावशाली साबित हो सकता है.

किनके बीच रहा है मुकाबला

इस सीट पर समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, भाजपा और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के बीच मुकाबला हमेशा चर्चा का विषय रहा है.  बीते चुनावों की बात करें, तो 2022 में अनुप प्रधान ने इस सीट से विजय प्राप्त की थी, जब यह सीट सुरक्षित श्रेणी में थी. इससे पूर्व, 2012 और 2017 में भी अनुप प्रधान विजयी रहे थे, जब यह सीट सुरक्षित थी.  इसके पहले, 2012 में भगवती प्रसाद और 2007 में रालोद के सतपाल सिंह इस सीट से विजयी हुए थे. 

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