UP चुनाव: अल्पसंख्यकों तक पहुंचने के लिए BJP ने बनाया खास प्लान, निकाली जाएगी रथ यात्रा

शिल्पी सेन

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उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अलग-अलग वर्गों के बीच केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार की ‘उपलब्धियां’ बताने में जुटी हुई है. इसी क्रम में अब पार्टी इन दोनों सरकारों की ‘उपलब्धियां’ अल्पसंख्यकों को बताने के लिए रथ यात्रा निकालेगी.

‘मिशन 2022’ की तैयारी में लगी बीजेपी ने अल्पसंख्यकों के बीच जाकर अपनी छवि बदलने की तैयारी की है. बीजेपी ‘अल्पसंख्यक जन जागरण यात्रा’ करके अल्पसंख्यकों को मोदी-योगी सरकार की ‘उपलब्धियां’ बताएगी.

यह रथ यात्रा हर विधानसभा क्षेत्र में जाएगी. इसमें पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के नेताओं के अलावा मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज हुसैन और जफर इस्लाम जैसे चेहरों को भी शामिल किया जाएगा. बीजेपी की यह रणनीति ऐसे वक्त में अहम मानी जा रही है, जब एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने यूपी में अपनी सियासी गतिविधियां तेज कर दी हैं.

क्या है बीजेपी का माइनॉरिटी प्लान?

बीजेपी ने तय किया है कि वो अल्पसंख्यकों के बीच भी अपनी ‘अच्छी बातों और जनहित के फैसलों’ को रखेगी. इसके लिए पार्टी ने हर विधानसभा क्षेत्र में रथ यात्रा निकालने का फैसला किया है. इस दौरान इस मैसेज को पहुंचाने की कोशिश की जाएगी कि मोदी-योगी सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वो सबके लिए हैं. पार्टी का मकसद यह बताना होगा कि केंद्रीय योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यकों को भी मिला है, साथ ही योगी सरकार में भी अल्पसंख्यकों बहुल क्षेत्रों का विकास हुआ है और विकास को लेकर कोई भेदभाव नहीं हुआ है.

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यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के महामंत्री दानिश आजाद कहते हैं, ”पीएम आवास हो या आयुष्मान योजना हो आप किसी भी योजना के आंकड़े देख लीजिए, अल्पसंख्यकों का भी प्रतिशत शेयर है. ये बहुत महत्वपूर्ण बात है. हम लोगों की जिम्मेदारी इसी बात को, सच्चाई को आगे रखने की है.”

इसके अलावा पार्टी सभी जिलों में ‘इंटेलेक्चुअल कॉन्फ्रेंस’ भी करेगी, जिसमें ‘अल्पसंख्यक बुद्धिजीवियों’ को शामिल किया जाएगा.

44 हजार अल्पसंख्यक सदस्य बनाने का लक्ष्य

जानकारी के मुताबिक, अभी चल रहे सदस्यता अभियान में करीब 44 हजार अल्पसंख्यक सदस्य बनाने का लक्ष्य बीजेपी ने तय किया है. पार्टी ने अल्पसंख्यक मोर्चे को सक्रिय करते हुए यह जिम्मेदारी दी है.

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2018 में बीजेपी में शामिल हुए डॉ. खतीब को पार्टी में बहराइच का जिला उपाध्यक्ष बनाया था. जिला बहराइच के चकसौगान गांव के प्रधान डॉ खतीब का कहना है, ”मेरी तरह बहुत युवा पार्टी से जुड़ना चाहते हैं. खास तौर पर वो युवा जो पढ़े लिखे हैं.” ऐसे में हर जिले में आयोजित होने वाले ‘इंटेलेक्चुअल कॉन्फ्रेंस’ में ऐसे युवाओं पर खास ध्यान दिया जाएगा.

क्या ओवैसी हैं चुनौती?

हाल ही में योगी सरकार ने उर्दू अखबार में विज्ञापन देकर इस बात को विस्तार से बताने की पहल की थी कि सरकार के फैसलों से अल्पसंख्यकों को अन्य सभी वर्गों की तरह कितना लाभ हुआ है. दरअसल यूपी में लगभग सभी अहम राजनीतिक दलों की मुस्लिम वोटों पर नजर और खास तौर पर असद्दुद्दीन ओवैसी के दौरे और भाषण को देखते हुए बीजेपी के लिए ‘माइनॉरिटी प्लान’ खास माना जा रहा है.

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हालांकि विपक्षी दल इस बात पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हैदर का कहना है, ”बीजेपी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया. क्या बीजेपी को लगता है कि मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने की जरूरत नहीं है? खास तौर पर तब जब बीजेपी जाति के आधार पर टिकट बांटती है. क्या बीजेपी को लगता है कि मुस्लिम समाज यह सवाल उनसे नहीं करेगा? ऐसी भेदभाव करते वाली और साम्प्रदायिक पार्टी के साथ क्यों जाएगा मुस्लिम युवा?”

वहीं, इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दिनेश पाठक कहते हैं, ”बीजेपी चुनावी तैयारी में तो आगे है लेकिन पुरानी सीटों का आंकड़ा छूना पार्टी के लिए चुनौती है. इसलिए बीजेपी के लिए एक-एक वोट कीमती है. यही कैलकुलेशन पार्टी लेकर चल रही है. ऐसे में उन सीटों पर जहां कम मार्जिन से हार हुई थी, पार्टी की नजर है. इस तरह के प्लान से कुछ फर्क लाने की कोशिश है.”

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