पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर योगी, अखिलेश में कौन किस पर पड़ा भारी, किसे मिली सियासी संजीवनी?

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यूपी में आगामी विधानसभा की पूरी सियासत मानों पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के इर्द-गिर्द ही घूम रही है. 16 नवंबर को पीएम मोदी ने जब पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया, तो सीएम योगी समेत बीजेपी के तमाम बड़े नाम मौजूद रहे. इससे पहले एक सियासी बवाल भी हुआ जब अखिलेश यादव ने भी घोषणा कर दी कि 16 नवंबर को उनका ‘समाजवादी विजय रथ’ गाजीपुर से शुरू होकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से निकलेगा. प्रशासन ने जब पीएम के कार्यक्रम का हवाला देते हुए अखिलेश की रथ यात्रा को मंजूरी नहीं दी, तो सियासत का पारा और गर्म हो गया. अखिलेश ने तुरंत प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आह्वान कर दिया कि समाजवादी सांकेतिक उद्घाटन करेंगे. कई जगहों से ऐसी तस्वीरें भी आईं कि जब पीएम मोदी उद्घाटन कर रहे थे, उसी वक्त एसपी कार्यकर्ता भी जगह-जगह सांकेतिक उद्घाटन कर रहे थे. फिर इसके अगले दिन यानी 17 नवंबर को अखिलेश ने गाजीपुर से ‘विजय रथ यात्रा’ निकाली और पूरी रात कार्यकर्ताओं से मिलते हुए और एक्सप्रेसवे पर सफर करते हुए लखनऊ पहुंचे.

अब चर्चा इस बात की हो रही है कि आखिर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर चल रही सियासत में कौन-किसपर भारी पड़ रहा है? आगामी चुनावों से पहले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से किसे सियासी संजीवनी मिल रही है?

दो दिनों में पूर्वांचल की सियासत में बड़े खेल का दावा

पहले बात कर लेते हैं बीजेपी के कार्यक्रम की. असल में चुनाव से पहले योगी सरकार केंद्र की मोदी सरकार के तालमेल से यूपी में विकास कार्यों का ताबड़तोड़ उद्घाटन करा रही है. इसी क्रम में 16 नवंबर को एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया गया. पीएम मोदी हरक्यूलिस विमान से एक्सप्रेसवे की हवाई स्ट्रिप पर उतरे. उन्होंने एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया और खासकर पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार की खूब खिंचाई की. कार्यक्रम के दौरान वायुसेना के फाइटर विमानों ने एक्सप्रेसवे पर टच एंड गो के करतब भी दिखाए. हालांकि किसी एक्सप्रेसवे पर विमानों के यह करतब कोई नई बात नहीं थी. यूपी में ही अखिलेश सरकार के दौरान आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के दौरान भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था.

अब आते हैं अखिलेश यादव के कार्यक्रम पर. अखिलेश यादव ने 16 नवंबर को एक्सप्रेसवे पर जाने की अनुमति नहीं देने के मामले को समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं के गौरव से जोड़ दिया. वह अगले दिन यानी 17 नवंबर को गाजीपुर से ‘विजय रथ यात्रा’ निकालने पहुंच गए. अखिलेश दोपहर 1:30 बजे हेलीकॉप्टर से गाजीपुर के पखनपुरा क्षेत्र में पहुंचे. वहां जनसभा को संबोधित कर अखिलेश यादव ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. अखिलेश यादव के साथ ओपी राजभर भी रथ पर मौजूद रहे और गाजीपुर से लेकर आजमगढ़ तक कार्यकर्ताओं को जोड़ते रहे. अखिलेश ने गाजीपुर से लखनऊ की 341 किलोमीटर की यात्रा 15 घंटों में पूरी की. जहां जगह-जगह उनका स्वागत हुआ. अखिलेश रात 12 बजे अंबेडकर नगर पहुंचे, रात 2 बजे सुलतानपुर और सुबह 4:30 बजे लखनऊ. अखिलेश ने देर रात सुलतानपुर में कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया. पूरी रात का अखिलेश का यह कार्यक्रम भीड़ की मौजूदगी के लिहाज से चौंकाऊ माना जा रहा है.

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कौन-किसपर भारी? सबके अपने दावे

समाजवादी पार्टी अखिलेश की रथ यात्रा को अपनी जीत की तरह पेश कर रही है. खुद अखिलेश यादव ने यात्रा में भीड़ की तस्वीरें ट्वीट कर दावा किया है कि बीजेपी की रैली ठंडी रही और खाली सीटों की तरह विधानसभा में भी बीजेपी की सीटें खाली रह जाएंगी. अखिलेश के सहयोगी और रथयात्रा में उनके साथ मौजूद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने भी तस्वीरें ट्वीट कर लिखा है कि बिना सरकारी संसाधन के रैली में आई भीड़ संकेत दे रही है कि जनता अहंकारी सत्ता को यूपी से खदेड़ना चाहती है.

हालांकि बीजेपी के भी अपने दावे हैं. यूपी बीजेपी के ट्विटर हैंडल पर अखिलेश की यात्राओं से जुड़े कुछ क्लिप पोस्ट कर एसपी चीफ पर निशाना साधा गया है.

इसके अलावा बीजेपी सांसद रवि किशन ने भी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को लेकर अखिलेश के दावों पर निशाना साधा है. रवि किशन ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की आधारशिला रखी थी, एसपी झूठी बातों के लिए जानी जाती है. उन्होंने कहा, ”अखिलेश को झूठ नहीं बोलना चाहिए. इस पर खुशी जाहिर करनी चाहिए थी, चुनाव है मगर राजनीति झूठी नहीं होनी चाहिए.” एसपी चीफ अखिलेश यादव के कार्यक्रमों में जुटने वाली भीड़ को लेकर उन्होंने कहा, ”एसपी की भीड़ तो 2014 में भी मैंने देखी थी, 2017 में भी और 2019 में भी, भीड़ से चुनाव में माहौल तय करना गलत है. इनके पास MY फैक्टर है पर इसका मतलब यह नहीं कि इनका माहौल है.”

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चुनावों से पहले किसी विकास कार्य का उद्घाटन सत्ताधारी पार्टी अपने फायदे में करती रही है. हालांकि इस बार अखिलेश यादव ने पूरी कोशिश की है कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का क्रेडिट सिर्फ बीजेपी को ही न चला जाए. पूर्वांचल का रण जीतना इस बार योगी और अखिलेश, दोनों के लिहाज से ही जरूरी है. 2017 के चुनावों में पूर्वांचल की अधिकतर सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. उधर यूपी की सत्ता में वापसी के ख्वाब सजाए हुए अखिलेश यादव ने भी राजभर से गठबंधन किया है. ऐसे में वह किसी कीमत पर पूर्वांचल से जुड़े किसी मुद्दे पर बीजेपी को बढ़त नहीं लेने देना चाह रहे हैं. इसकी बानगी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को लेकर चल रही सियासी रार में देखने को मिल रही है.

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