अयोध्या से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे CM योगी? जानिए कैसे मिल रहे ये संकेत

बनबीर सिंह

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में पत्रकारों से औपचारिक बातचीत में साफ किया था कि वह आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा था कि वह कहां से चुनाव मैदान में उतरेंगे, इस बात का फैसला बीजेपी नेतृत्व करेगा. इस बीच इस बात को लेकर अटकलबाजी तेज है कि सीएम योगी आखिर कहां से चुनाव लड़ेंगे- गोरखपुर, मथुरा या फिर अयोध्या से?

अटकलों के बीच जो संकेत मिल रहे हैं वो इशारा कर रहे हैं कि सीएम योगी अयोध्या सदर सीट से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये कौन से संकेत हैं? चलिए आपको ताजा घटनाक्रम बताते हुए इन संकेतों के बारे में बताते हैं.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की सभा के बाद 6 जनवरी की शाम मुख्यमंत्री के निजी सलाहकार संजीव सिंह ने सर्किट हाउस में पदाधिकारियों के साथ एक बैठक की. आपको बता दें कि अयोध्या महानगर में संगठन ने चार मंडल बनाए हैं, जिसके जरिए पूरी अयोध्या विधानसभा को संगठन स्तर पर संचालित किया जाता है. इन्हीं चार मंडलों और अयोध्या महानगर के संगठन से जुड़े शीर्ष पदाधिकारियों को सर्किट हाउस में संजीव सिंह ने बुलाया. उनको एक लेदर बैग में सरकार की योजनाओं से जुड़े पर्चे और बुकलेट दी गईं. मगर अहम बात यह है कि उनसे यह राय ली गई कि अगर योगी आदित्यनाथ अयोध्या विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं तो कैसा रहेगा?

इसके जवाब में, बैठक में मौजूद संगठन पदाधिकारियों में से किसी ने कहा कि मंडल स्तर पर फायदा मिलेगा तो किसी ने कहा पूरे यूपी में इसका फायदा मिलेगा. इस बैठक में अयोध्या से बीजेपी विधायक वेद प्रकाश गुप्ता और मेयर ऋषिकेश उपाध्याय को नहीं बुलाया गया था.

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अयोध्या के पूर्व जिला अध्यक्ष अवधेश पांडे बादल ने महानगर पदाधिकारियों और मुख्यमंत्री के निजी सलाहकार संजीव सिंह के बीच हुई बैठक की पुष्टि की है. यहां एक बात और महत्वपूर्ण है कि अयोध्या के जिलाध्यक्ष संजीव सिंह और महानगर अध्यक्ष को दो दिन पहले ही लखनऊ बुलाया गया था.

मांगे गए 15 गणमान्य व्यक्तियों के नाम

अयोध्या नगर निगम के पार्षदों से उनके वॉर्ड के 15 गणमान्य व्यक्तियों के नाम मांगे गए हैं. नाम के साथ ही उनके मोबाइल नंबर और घर का पता भी मांगा गया है. राम प्रसाद विस्मिल वॉर्ड से निर्दलीय पार्षद सलमान हैदर कहते हैं कि नगर निगम से अलग-अलग अधिकारियों ने फोन कर संबंधित विवरण देने को कहा. सलमान बताते हैं कि पार्षदों में इसको लेकर चर्चा हुई तो यह निकलकर आया कि नगर आयुक्त के जरिए ये डिटेल्स मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी जानी हैं. 6 जनवरी तक अधिकांश पार्षदों ने यह डिटेल्स भेज दी थीं.

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इस बारे में अयोध्या मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने बताया कि यह लिस्ट उनके पास भी है और इसे मुख्यमंत्री को भेजा जाना है. इस लिस्ट में सभी जातियों और सम्प्रदाय से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों के नाम हैं, जिनसे सीधे बात कर अलग-अलग विषयों पर राय ली जानी है.

आपको बता दें कि अयोध्या नगर निगम में कुल 60 पार्षद हैं और इसके अलावा 10 नामित किए गए पार्षद हैं. अयोध्या सदर विधानसभा की पूरी शहरी आबादी में विकास के संचालन का जिम्मा इन्हीं लोगों पर है. इसी के साथ नगर निगम के विस्तार के लिए 45 अन्य गांव भी चुने गए हैं, जिसमें अभी पार्षद नहीं हैं और ग्राम प्रधान का चुनाव भी नगर निगम विस्तार में आने के कारण यहां नहीं हुआ. बावजूद इसके यहां के लिए नगर निगम से बजट आवंटित हो गया है, टेंडर भी हो गया है और कार्य भी शुरू हो गया है.

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मौजूदा समय में तीन निर्दलीय पार्षदों को छोड़कर अधिकतर संख्या बीजेपी पार्षदों की है. बीजेपी नगर निगम के क्षेत्रों पर कितना फोकस कर रही है, इसी की एक बानगी शहरी क्षेत्र से 1000 से अधिक प्रभावशाली लोगों के नाम मांगे जाने से पता चलती है. इसे हम दूसरा बड़ा संकेत कह सकते हैं.

योगी आदित्यनाथ का लंबे वक्त से रहा है अयोध्या से जुड़ाव

योगी आदित्यनाथ अयोध्या आंदोलन के दौरान भी अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ के साथ यहां आते रहे थे. इसीलिए अयोध्या से उनका जुड़ाव शुरू से रहा है. यही कारण है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद वह 30 से अधिक बार अयोध्या आ चुके हैं. चाहे मुफ्त राशन वितरण हो, आयुष हॉस्पिटल की घोषणा हो या फिर छात्र छात्राओं को लैपटॉप और टेबलेट का वितरण हो, वह लगातार अयोध्या आते ही रहे हैं.

अयोध्या में दीपोत्सव की शुरुआत हो और साल दर साल दीपों के नए रिकॉर्ड बनाने की बात हो, हर बार अयोध्या चर्चा में रहती है. योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाने वाले अयोध्या हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास कहते हैं, ”गोरखपुर के बाद अयोध्या महाराज जी (योगी) का दूसरा घर है, इसलिए महाराज जी गोरखपुर, अयोध्या और मथुरा में से कहीं से चुनाव लड़ सकते हैं.”

वहीं अयोध्या विधानसभा से विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री अयोध्या से चुनाव लड़ते हैं तो इससे बेहतर और क्या होगा. इस बारे में बीजेपी के जिला अध्यक्ष संजीव सिंह कहते हैं कि सब बातें कहीं नहीं जातीं और जरूरी भी नहीं है कि सब बातें समय से पहले कह दी जाएं.

संकेत भले ही इस ओर इशारा कर रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ अयोध्या से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन एक सवाल यह भी है कि क्या वह गोरखपुर का अपना गढ़ इतनी आसानी से छोड़ देंगे?

अब मथुरा की भी बात कर लेते हैं. वहां से श्रीकांत शर्मा बीजेपी के विधायक हैं और उनकी छवि सक्रिय राजनेता के रूप में है. अगर योगी आदित्यनाथ वहां से चुनाव लड़ते हैं तो सबसे पहले श्रीकांत शर्मा को एडजस्ट करना होगा, जिससे क्षत्रिय और ब्राह्मण का कार्ड विरोधी दल न खेल सके. ऐसे में सिर्फ एक कारण है जिसके कारण पार्टी संगठन उनको वहां से चुनाव लड़ा सकता है और वह कारण है हिंदुत्व के मुद्दे को धार देना क्योंकि बीजेपी अयोध्या के साथ-साथ मथुरा काशी की भी बात करती रही है.

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