यूपी चुनाव: ‘नाराज ब्राह्मणों’ को मनाने की कोशिश, दिल्ली में BJP की बैठकों का दौर जारी

कुमार अभिषेक

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यूपी में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ब्राह्मणों की कथित नाराजगी को दूर करने की कोशिशों में जुटी है. नाराज ब्राह्मणों को मनाने के लिए अपने ब्राह्मण चेहरों की एक मीटिंग दिल्ली में बुलाई है. रविवार को एक मीटिंग दिल्ली में उत्तर प्रदेश के प्रभारी बनाए गए धर्मेंद्र प्रधान के घर हुई. दिन में लंच हुआ और चर्चा इस बात पर हुई कि बीजेपी के इस वोट बैंक को कैसे और पुख्ता किया जाए, कैसे ब्राह्मणों में फैल रहे भ्रम को दूर किया जाए और कैसे समाजवादी पार्टी, बीएसपी के ब्राह्मण कार्ड से निपटा जाए.

वहीं एक दूसरी मीटिंग बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आवास पर सोमवार को हो रही है. जेपी नड्डा के घर पर शिवप्रताप शुक्ला और धर्मेन्द्र प्रधान पहुंचे हैं. इसके अलावा श्रीकांत शर्मा भी पहुंचे हैं. माना जा रहा है कि नड्डा के घर में हो रही बैठक में यूपी में ब्राह्मणों को मनाने की रणनीति पर विचार हो रहा है. आपको बता दें कि यूपी चुनाव में ब्राह्मणों के बीच प्रचार को लेकर कमेटी भी बनाई गई है.

बता दें कि धर्मेंद्र प्रधान के घर हुई बैठक में बीजेपी से जुड़े सभी दिग्गज ब्राह्मण चेहरे मौजूद रहे. इनमें रीता बहुगुणा जोशी, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, फिलहाल विवादों में चल रहे अजय मिश्रा टेनी, शिव प्रताप शुक्ला, महेश शर्मा, अनिल शर्मा, जितिन प्रसाद सहित तमाम ब्राह्मण नेता मौजूद थे. यह मंथन इस बात के लिए था कि इस चुनाव में ब्राह्मणों में फैल रहे भ्रम को कैसे रोका जाए और चुनाव में उन्हें कैसे साधा जाए.

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बड़े नेताओं की एक इंटरनल कमेटी बनाई गई है जो कि नाराजगी की वजह देखेगी. टिकट बंटवारे में ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व तय करेगी और साथ-साथ उनके सभी जायज मुद्दों को चुनाव के पहले हल करेगी.

दूसरी पार्टियां, खासकर बीएसपी और समाजवादी पार्टी जिस तरीके से ब्राह्मणों को जोड़ने और लुभाने में लगी हैं, उसे लेकर भी चर्चा हुई. पिछले कुछ समय से बीएसपी ने ब्राह्मणों को लुभाने की लिए एड़ी-चोटी एक कर रखी है. समाजवादी पार्टी भी बीजेपी से ब्राह्मण विधायकों को तोड़कर अपने में शामिल करा रही है. समाजवादी पार्टी का पूरा फोकस पूर्वांचल के वे ब्राह्मण हैं, जो बीजेपी विरोधी माने जाते हैं. खासकर जिनकी अदावत ठाकुर सियासत से रही है.

कई नेता, जो पिछले काफी समय से किनारे चल रहे थे, कुछ युवा नेता, कुछ पुराने नेता जिन्हें लगता था कि बीजेपी के भीतर तो वे हैं, लेकिन उनकी पूछ नहीं है, ऐसे नेता भी बैठक में शामिल रहे. इस मीटिंग में शामिल कई नेताओं से यूपी तक ने बात करने की कोशिश की लेकिन कोई भी खुलकर बताने को तैयार नहीं है कि आखिर ब्राह्मणों को लेकर कौन सी रणनीति तैयार की गई है. हालांकि इतना तय है कि ब्राह्मणों के स्वाभिमान से जुड़े मुद्दे प्राथमिकता के तौर पर रखे गए. एनकाउंटर से लेकर भगवान परशुराम की मूर्तियां लगाने, उनकी जयंती भव्य तरीके से मनाने और नाराज ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़ने की कोशिशों के तौर तरीकों पर भी चर्चा हुई.

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ब्राह्मणों की नाराजगी का जोखिम नहीं उठा सकती बीजेपी

दरअसल, यूपी में सवर्णों के सबसे बड़े वोट बैंक ब्राह्मणों को नाराज करने का जोखिम इस वक्त बीजेपी नहीं उठा सकती. जिस रफ्तार से समाजवादी पार्टी की तरफ बीजेपी विधायकों का रुझान बढ़ा है या फिर मायावती ने जिस तरीके से ब्राह्मण सम्मेलन पूरे प्रदेश में करना शुरू कर दिया है, इससे बीजेपी के भीतर खलबली मची हुई है. उसे लगता है कि 2017 और 2019 में ब्राह्मणों ने जिस तरीके से बीजेपी को खुलकर वोट किया था, शायद इस बार उनकी नाराजगी पार्टी को भारी न पड़ जाए. ब्राह्मण वोटर्स का अगर एक बड़ा हिस्सा टूटकर एसपी या बीएसपी की तरफ चला गया तो बीजेपी के सपने टूट सकते हैं.

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