यूपी चुनाव: तीन महीने में आए तीन सर्वे, जानें BJP के लिए क्यों बज रही है खतरे की घंटी

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यूपी में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए रणभूमि सज चुकी है. एक तरफ अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी (एसपी) है, जो सत्ता में वापसी के लिए जोर लगा रही है. दूसरी तरफ प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस है, जो तीन दशक पहले की यूपी की अपनी ताकत को वापस पाने के लिए भिड़ी है. इस रेस में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) भी है, जो लोगों को मायावती का शासन याद दिला सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है. वहीं, सत्ता में बैठी बीजेपी सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक बार फिर सत्ता में वापसी का दावा कर रही है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि चुनाव कौन जीतेगा? इसका पता भले ही चुनावी परिणामों में लगे लेकिन प्री पोल सर्वे एक झलक जरूर देते हैं कि आखिर यूपी की राजनीति किस दिशा में जा रही है. यूपी में पिछले तीन महीनों में तीन चुनावी सर्वे आए हैं. आइए जानते हैं कि इन चुनावी सर्वे के क्या संदेश हैं. ये तीनों सर्वे बीजेपी के लिए खतरे की घंटी क्यों हैं?

हालांकि इस विश्लेषण से पहले यह बात स्पष्ट रूप से समझी जानी चाहिए कि सर्वे रिपोर्ट्स को महज एक चुनावी अनुमान के तौर पर देखा जा सकता है, जिसके चुनावी नतीजे में बदलने के बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता.

सितंबर से लेकर नवंबर: जानिए 3 सर्वे क्या दे रहे हैं संकेत

शुक्रवार यानी 12 नवंबर को यूपी के आगामी विधानसभा चुनावों पर ABP न्यूज C-Voter के का ताजा सर्वे आया है. इससे पहले अक्टूबर और सितंबर महीने में भी ABP न्यूज C-Voter एक-एक सर्वे जारी कर चुके हैं. यानी हर महीने एक सर्वे सामने आ रहा है. इन सर्वे से तीन बड़ी बातें निकल कर सामने आई हैं.

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1- लगातार घटता दिख रहा बीजेपी की सीटों का अनुमान

यूपी विधानसभा चुनावों में अभी कुछ महीने का वक्त है. हवा किस ओर बहेगी या बहती हवा किस ओर रास्ता बदल देगी, इसके लिए जोर-आजमाइश करने को सभी राजनीतिक दलों के पास वक्त है. इन तीनों सर्वे में बीजेपी बहुमत का आंकड़ा पार करती नजर आ रही है. इसके बावजूद सर्वे का एक ट्रेंड बीजेपी के लिए बड़ी चिंता का विषय हो सकता है. वह ट्रेंड है हर ताजे सर्वे में घटती सीटें.

सितंबर महीने में ABP न्यूज C-Voter के सर्वे में बीजेपी को 259 से 267 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था. अक्टूबर महीने के सर्वे में यह अनुमान 241 से 249 सीटों का हो गया. नवंबर के ताजातरीन सर्वे की बात करें तो अब बीजेपी को 213 से 221 सीटें मिलने का अनुमान जताया जा रहा है.

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यानी तीन महीने में सर्वे के हिसाब से बीजेपी को मिलती अधिकतम सीटों में 46 सीटों का नुकसान दिख रहा है. ऐसे में यह ट्रेंड इसलिए भी बीजेपी के लिए खतरनाक है क्योंकि चुनाव में अभी बचा वक्त विपक्ष को योगी सरकार के खिलाफ और आक्रामक होने का मौका दे सकता है और इसका असर चुनावी परिणामों की दिशा बदल सकता है.

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2- लगातर बढ़ रहा समाजवादी पार्टी की सीटों का अनुमान

तीन महीने के भीतर तीन चुनावी सर्वे का दूसरा बड़ा संकेत एसपी और अखिलेश यादव के लिए उम्मीदों से भरा नजर आ रहा है. सितंबर महीने के सर्वे में एसपी को 109-117 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया था. अक्टूबर के सर्वे में यह अनुमान बढ़कर 130 से 138 सीटों का हो गया. नवंबर के हालिया सर्वे में एसपी को 152 से 160 सीटें मिलती दिख रही हैं.

यानी तीन महीनों के भीतर एसपी की सीटों में करीब 43 सीटों की बढ़त का अनुमान जताया गया है. एक तरह से देखें तो बीजेपी की घटती सीटों का सीधा फायदा एसपी को होता नजर आ रहा है. चुनावी सर्वे से मिल रहे ये संकेत अखिलेश के उत्साह को बढ़ा उनकी चुनावी गतिविधियों को और धार देने का काम कर सकते हैं.

3- वोट ट्रैकर्स का यह ट्रेंड बीजेपी को दे सकता है राहत

तीनों चुनावी सर्वे में भले बीजेपी की सीटों का अनुमान घटता दिखा है, लेकिन वोट ट्रैकर्स एक ऐसा ट्रेंड भी दिखा रहे हैं, जो बीजेपी को बड़ी राहत दे रहे हैं. यह ट्रेंड है वोट शेयर का. सितंबर महीने में बीजेपी प्लस को 41.8 फीसदी वोट मिलने का अनुमान जताया गया. अक्टूबर और नवंबर के सर्वे में यह अनुमान 41 फीसदी वोटों का है.

यानी बीजेपी की सीटें भले ही घटती नजर आ रही हों, लेकिन वोट शेयर के मामले में पार्टी विपक्ष पर भारी पड़ती नजर आ रही है. पिछले दिनों C-Voter के संस्थापक यशवंत देशमुख ने यूपी तक संग बातचीत में भी इस पॉइंट की ओर इशारा किया था. यशवंत देशमुख ने कहा था कि जब तक ट्रैकर्स बीजेपी को 40 पर्सेंट से ऊपर वोट मिलता दिखा रहे हैं तबतक यही माना जाना चाहिए कि चुनाव में बीजेपी को अच्छा-खासा एज है.

हालांकि यह भी एक तथ्य है कि अलग-अलग राज्यों के पिछले कई विधानसभा चुनावों में सर्वे एजेंसीज के आंकड़ों व अंतिम परिणाम में काफी अंतर देखने को मिला है. इसलिए अंतिम रूप से ऐसा नहीं कहा जा सकता कि किसी सर्वे के हिसाब से ही यूपी विधानसभा का चुनावी रिजल्ट होगा. इसके बावजूद सर्वे से राजनीतिक दलों के के चुनाव पूर्व समीकरण जरूर बन और बिगड़ सकते हैं.

पिछले तीन चुनावी सर्वे के परिणामों और कांग्रेस-बीएसपी की स्थिति के बारे में विस्तार से नीचे के लिंक्स पर क्लिक कर पढ़ा जा सकता है.

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