उत्तर प्रदेश का अमरोहा जिला (पहले ज्योतिबा फुलेनगर) 15 अप्रैल 1997 को स्थापित किया गया, जिसका मुख्यालय अमरोहा नगर को बनाया गया. नए जिले में तीन तहसील शामिल की गईं – अमरोहा, धनौरा, और हसनपुर. मौजूदा वक्त में नई तहसील नौगावां सादात को मिलाकर 4 तहसील इस जिले में शामिल हैं.
अमरोहा जिले में 4 विधानसभा क्षेत्र हैं. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां बीजेपी का दबदबा रहा था. उस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जिले की 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने अपने इस प्रदर्शन से अमरोहा जिले में बड़ा उलटफेर किया था, क्योंकि 2012 के विधानसभा चुनाव में यहां सभी चारों सीटें समाजवादी पार्टी (एसपी) के खाते में गई थीं.
ऐसे में, देखते हैं कि पिछले दो विधानसभा चुनावों में अमरोहा जिले की सियासी तस्वीर किस तरह बदली है.
2017: धनौरा सीट पर इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार राजीव कुमार ने एसपी के जगराम सिंह को 38229 वोटों से हराया था.
2012: इस चुनाव में यह सीट एसपी के खाते में गई थी. एसपी उम्मीदवार मैकाल चंद्र ने बीएसपी उम्मीदवार हेम सिंह को 7629 वोटों से हराया था.
2017: इस चुनाव में नौगांव सादत सीट पर भी बीजेपी की जीत हुई थी. बीजेपी उम्मीदवार चेतन चौहान ने एसपी के जावेद अब्बास को 20648 वोटों से हराया था.
2012: इस चुनाव में यहां भी एसपी की जीत हुई थी. एसपी उम्मीदवार अशफाक अली खान ने बीएसपी के राहुल कुमार को 3662 वोटों से हराया था.
2017: अमरोहा सीट इस चुनाव में एसपी के खाते में गई थी. एसपी उम्मीदवार महबूब अली ने बीएसपी के नौशाद अली को 15042 वोटों से हराया था.
2012: इस चुनाव में भी यहां एसपी के महबूब अली ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने बीजेपी के राम सिंह को 21805 वोटों से हराया था.
2017: हसनसीट सीट पर इस चुनाव में बीजेपी के महेंद्र सिंह ने एसपी उम्मीदवार कमल अख्तर को 27770 वोटों से हराया था.
2012: इस चुनाव में हसनपुर सीट पर एसपी के कमल अख्तर ने बीएसपी उम्मीदवार गंगा सरन को 32228 वोटों से हराया था.
अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमरोहा जिले में एक बार फिर कोई बड़ा उलटफेर होगा या फिर यहां बीजेपी अपना दबदबा बरकरार रखने में सफल होगी.