रायबरेली: 2024 में बचेगी कांग्रेस की प्रतिष्ठा या BJP करेगी करिश्मा, पत्रकारों ने ये कहा

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Raebareli News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में करारी जीत के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (BJP)  2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश की जिन 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव हारी थी, उन सीटों के लिए पार्टी अब खासा रणनीति बना रही है. भाजपा द्वारा उन सीटों को जीतने की इस बार पूरी कोशिश की जा रही है. इसके लिए उन सभी 14 सीटों पर पार्टी अभी से एक्टिव मोड में आ गई है. यहां बार-बार बड़े नेताओं के दौरे करवाए जा रहे हैं, संगठन को ताकत दी जा रही है.

क्या गांधी परिवार ने किया किनारा?

इसी क्रम में रायबरेली सीट भी इस बार भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर है. गांधी परिवार का गढ़ कहे जाने वाले रायबरेली में भाजपा, गांधी परिवार को करारा झटका देने की पूरी कोशिश कर रही है.  2019 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद से गांधी परिवार के किसी भी सदस्य ने रायबरेली की तरफ नहीं देखा है. ऐसे में ये अटकले लगाई जा रही हैं कि क्या 2019 लोकसभा चुनाव के बाद गांधी परिवार ने रायबरेली और अमेठी से किनारा कर रखा है?

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भाजपा का फोकस बना रायबरेली

बताया जा रहा है कि अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी लगातार रायबरेली और अमेठी के लोगों की नब्ज को टटोल रही हैं और लोगों से बराबर मिल रही हैं. तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार का फोकस भी रायबरेली पर है. अगर हम साल 2022 की बात करें तो पिछले 6 महीनों में ही उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों से लेकर उपमुख्यमंत्री यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी रायबरेली में अपने कार्यक्रम लगाएं हैं.

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यूपी तक की टीम ने 2024 का जातीय समीकरण और आखिर 2024 किसके पक्ष में जा रहा है, इसको लेकर कुछ सीनियर पत्रकारों से बात की. पत्रकारों की मानें तो रायबरेली देश भर में गांधी परिवार की प्रतिष्ठा के रूप में माना जाता है. रायबरेली के लोगों से गांधी परिवार के लोगों का दिली लगाव है. खुले मन से कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि रायबरेली में बीते 70 सालों में जो कुछ भी विकास हुआ है वह गांधी परिवार की वजह से ही संभव हुआ है. इसलिए तामझाम की लड़ाई में जरूर कांग्रेस पार्टी पिछड़ रही है, लेकिन जब लोकसभा चुनाव की बात होती है तो वहां पर आम आदमी, कांग्रेस पार्टी के लिए सड़कों पर उतरता है. शायद यही वजह है कि 19 लोकसभा चुनावों में 16 बार रायबरेली की जनता ने सांसद के तौर पर कांग्रेस के लोगों का चुनाव किया है. फिरोज गांधी से लेकर इंदिरा गांधी और इंदिरा से लेकर सोनिया गांधी तक ने  रायबरेली का प्रतिनिधित्व किया है.

पत्रकारों ने ये बताया

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पत्रकार और यूपी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन का स्टेट प्रेसिडेंट शिव मनोहर पाण्डेय ने कहा कि, “ऊपरी तौर पर देखा जाए भाजपा ज्यादा सक्रिय है. सक्रियता की नजर से देखा जाए तो कांग्रेस, भाजपा से बहुत पीछे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत देखी जाए तो उत्तर प्रदेश की बजाय रायबरेली में स्थितियां अलग है. जैसे अब तक सिर्फ तीन बार ही ऐसा हुआ जब रायबरेली से किसी दूसरे दल का प्रत्याशी जीता हो. यहां कांग्रेस अच्छे वोटों से जीती है. गांधी परिवार का यहां से लगाव रहा है. यहां जो भी विकास हुआ है वह गांधी परिवार की ही देन है. सन 1957 में जो पहला महाविद्यालय खोला गया वह भी फिरोज गांधी की प्रेरणा से ही बना था.  तब से लेकर अब तक जो भी विकास कार्य हुए हैं कांग्रेस के द्वारा ही हुए हैं.“

उन्होंने आगे बताया कि, “यहां जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर है वह कांग्रेस के जमाने में तैयार हुआ था. बीच में कुछ समय के लिए जब कांग्रेस नहीं थी तब यहां का विकास रुक गया था.  रायबरेली की जनता परेशान हो गई थी. 2004 में जब सोनिया गांधी यहां से फिर से सांसद बनी और यूपीए की सरकार बनी तो ही रायबरेली का विकास पटरी पर आ पाया.”

उन्होंने आगे कहा कि, रायबरेली में कांग्रेस लोगों के सुख-दुख में शामिल रही है. ऐसे में वह इमोशन रायबरेली की जनता में हैं, लेकिन ऊपरी तौर पर देखा जाए तो बीजेपी आगे दिखाई पड़ रही है. देखिए बाजी की स्थिति तो यह है किसी पार्टी की जीत में उसके संगठन का भी बड़ा योगदान होता है. जहां तक जनता की जुड़ाव का सवाल है संगठनात्मक तौर पर तो कांग्रेस कमजोर है, लेकिन जनता के जुड़ाव के कारण मजबूत है. अगर किसी स्थानीय व्यक्ति को बीजेपी उतारती है तो यह संभव नहीं है कि वह गांधी परिवार के सामने जीत जाए. हां अगर कोई बड़ा हाई-फाई और कद्दावर नेता यहां उतरता है और तमाम आश्वासन देता तो वो अलग बात है.  अमेठी में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराया बड़े सपने दिखाए लेकिन बड़ा परिवर्तन अमेठी में वह नहीं ला पाई तो वह भी रायबरेली की जनता को चुभता है. इस तरह से हमको लगता है कि फिलहाल कांग्रेस अभी आगे है.

कैनविज टाइम्स के ब्यूरो चीफ अनुज अवस्थी ने बताया कि, “देखिए अगर हम रायबरेली लोकसभा की बात करें तो रायबरेली लोकसभा में कभी भी जाति समीकरणों के आधार पर चुनाव नहीं हुआ है. लोकसभा मे जाति समीकरण काम नहीं किया है. हमेशा से रायबरेली की जनता ने विकास को वोट दिया है. विकास पर यहां चुनाव होंगे न की जाति समीकरणों पर. रायबरेली ने हमेशा विकास के साथ साथ सकारात्मक रिश्तों को भी महत्व दिया है. इसलिए माहौल किसका है यह कह पाना थोड़ा मुश्किल है. अगर हम कांग्रेस की बात करते हैं तो सोनिया गांधी जब से रायबरेली से सांसद बनी हैं उसी समय से विकास के मामले में रायबरेली का नाम पूरी दुनिया में गया है. रायबरेली का हर व्यक्ति यह मानने के लिए तैयार है  की कांग्रेस ने रायबरेली में बड़े काम किए हैं. भाजपा की बात करें तो मोदी सरकार और योगी सरकार की योजनाएं जनता को लुभा रही हैं. जनता उस पर वोट कर रही है. लोगों ने विधानसभा में योगी सरकार को वोट दिया है. मगर भाजपा ने यहां ऐसा कोई बड़ा काम नहीं किया है जिसको वह गिना सके.”

उन्होंने आगे बताया कि,  “कांग्रेस की बात करें तो एक लंबे समय प्रियंका जी रायबरेली नहीं आई है. कांग्रेस का कोई बड़ा नेता रायबरेली नहीं आया है. दूसरी तरफ भाजपा के कई मंत्री, कई नेता रायबरेली आ चुके हैं और लोकसभा की तैयारियों में लगे हुए हैं. इसका नुकसान तो कांग्रेस को होगा. मगर कांग्रेस से कोई गांधी परिवार का व्यक्ति चुनाव लड़ता है तो यहां के लोगों का मन बदल जाता है.”

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