अखिलेश और शिवपाल के बीच पार्टी विलय का कोई अनकहा फॉर्म्युला बना? जानें रणनीति
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 16 दिसंबर को समाजवादी पार्टी (एसपी) और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के बीच गठबंधन…
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उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 16 दिसंबर को समाजवादी पार्टी (एसपी) और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के बीच गठबंधन हुआ था. वहीं, अब इस गठबंधन के बाद खबर आ रही है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बिना एसपी में विलय किए हुए विलय की रणनीति पर काम कर रही है.
मिली जानकारी के अनुसार, शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को चुनाव निशान आवंटित नहीं है, जिसके चलते शिवपाल के समर्थकों का एसपी के चुनाव निशान पर चुनाव लड़ना एक ‘मजबूरी’ है.
खबर है कि इक्की-दुक्की सीटों पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अपने चिह्न (चाबी) पर चुनाव लड़ सकती है. वहीं, बाकी सीटों पर शिवपाल यादव की पार्टी के प्रत्याशी एसपी के निशान पर चुनाव लड़ेंगे और ‘जीतने’ पर वे एसपी के विधायक ही कहलाएंगे, जिस प्रकार अभी शिवपाल एसपी के विधायक हैं.
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बता दें कि अखिलेश यादव भले ही शिवपाल यादव की पार्टी का एसपी में विलय न कर रहे हों, लेकिन जब शिवपाल के समर्थक एसपी के निशान पर चुनाव लड़ेंगे तो ‘जीतने’ के बाद वे एसपी के ही विधायक माने जाएंगे. ऐसा माना जा रहा है कि ये अखिलेश यादव की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है, क्योंकि इसके जरिए सिर्फ गठबंधन की बात कही जाएगी, लेकिन होगा यह एक तरह से विलय ही.
इससे पहले शिवपाल यादव बोले थे, ‘साइकिल चुनाव चिह्न पर भी चुनाव लड़ सकते हैं’
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आपको बता दें कि शिवपाल यादव 20 दिसंबर को इटावा के डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक में वार्षिक उत्सव कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा था, “2022 में हम लोग मिलकर चुनाव लड़ेंगे. समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी मिलकर सरकार बनाएगी. साइकिल चुनाव चिह्न पर भी चुनाव लड़ सकते हैं.”
इसके अलावा शिवपाल ने कहा था, “चुनाव की तिथि आने से पहले गठबंधन की सीटों के बारे में बता दिया जाएगा. एसपी की ओर से जो जिम्मेदारी मिलेगी, वह हम निभाएंगे. हमारी जिम्मेदारी होगी कि अधिक से अधिक सीटें जीतें और समाजवादी पार्टी की सरकार बनाए.”
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