UP चुनाव 2022: तो क्या स्वामी प्रसाद मौर्य होंगे समाजवादी पार्टी के गैर यादव ओबीसी चेहरा?

कुमार अभिषेक

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2017 के बाद से उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नई लाइन जुड़ी है और वह लाइन है गैर यादव ओबीसी वोट बैंक की. 2017 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को इसी गैर यादव ओबीसी वोट बैंक ने सत्ता तक पहुंचाया था. वहीं, अब बीजेपी को सबसे बड़ा डर इसी बात का सता रहा है कि कहीं यह गैर यादव ओबीसी वोट बैंक समाजवादी पार्टी के साथ न चला जाए. एसपी चीफ अखिलेश यादव की पूरी कोशिश है कि गैर यादव ओबीसी वोट बैंक उनके साथ आ जाए और यही वजह है कि बीजेपी के दूसरे सबसे बड़े गैर यादव ओबीसी चेहरे स्वामी प्रसाद मौर्य को एसपी ने लगभग तोड़ लिया है.

आधिकारिक तौर पर स्वामी प्रसाद मौर्य की एसपी में जॉइनिंग बाकी है. ऐसा माना जा रहा है कि 14 या 15 जनवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके समर्थक विधायक अखिलेश यादव का दामन थाम लेंगे, जिसके बाद यूपी की सियासी जातिगत लड़ाई एक नया मोड़ ले सकती है.

आपको बता दें कि जब स्वामी प्रसाद मौर्य बीएसपी में हुआ करते थे तब वह पिछड़ों और अति पिछड़ों की राजनीति के लिए जाने जाते थे. बहुजन समाज की पॉलिटिक्स जमीनी तौर पर उन्होंने की है. ऐसे में बीजेपी कभी उनकी नेचुरल चॉइस नहीं रही, लेकिन 2017 में मोदी लहर और खासकर अति पिछड़ी जातियों के बीजेपी के साथ जाने की वजह से उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था. 5 साल योगी कैबिनेट मंत्री रहने के बाद आचार संहिता लगते ही उन्होंने सरकार को बाय-बाय कर दिया है.

मौर्य ने आरोप लगाया है कि 5 साल उन्होंने विपरीत विचारधारा में काम किया जहां दलितों, पिछड़ों, किसानों और नौजवानों के साथ उपेक्षा का भाव है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने कभी भी अपने आपको सर्वजन का नेता नहीं कहा है, बल्कि सिर्फ दलित, पिछड़े और अति पिछड़े समाज की बात करते रहे हैं.

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आपको बता दें कि जिन लोगों ने स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ बीजेपी छोड़ने का ऐलान किया है, उनमें बांदा जिले की तिंदवारी विधानसभा से बीजेपी विधायक ब्रजेश प्रजापति हैं. प्रजापति कुम्हार जाति से आते हैं, जोकि पिछड़ी जाति है और उसके इक्के-दुक्के विधायकों में बृजेश प्रजापति का नाम है. ऐसे में सांकेतिक ही सही लेकिन बीजेपी से अलग होना इस वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकता है.

वहीं, कानपुर के बिल्हौर से बीजेपी विधायक भगवती सागर दलित जाति कुरील या फिर जिन्हें धोबी माना जाता है उस जाति से ताल्लुक रखते हैं और उनका जाना भी जातियों के लिहाज से बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकता है.

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पार्टी छोड़ने वाले तीसरे विधायक शाहजहांपुर की तिलहर सीट से रोशनलाल वर्मा हैं. रोशनलाल वर्मा शाहजहांपुर के लोध बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं इन्हें जॉइंट किलर भी माना जा रहा है क्योंकि इन्होंने जितिन प्रसाद को 2017 में विधानसभा चुनाव में हराया था. इसके अलावा विनय शाक्य जो क बिधूना औरैया से विधायक हैं इन्होंने भी ऐलान किया है कि जहां स्वामी प्रसाद मौर्य जाएंगे यह वही जाएंगे.

आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ जो नेता जा सकते हैं वो ज्यादातर अति पिछड़ी और पिछड़ी जातियों से हैं और कहीं ना कहीं ये एसपी का माहौल मजबूत करने में मददगार होंगे. ऐसा कहा जा रहा है कि एसपी अध्यक्ष यादव टैग को हटाने के लिए पिछले 5 साल से मेहनत कर रहे हैं और यही वजह है कि उन्होंने अपने संगठन में लगभग 45 फीसदी गैर यादव जातियों को तरजीह दी है.

स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ जिन और दूसरे नामों की चर्चा है, उनमें कैबिनेट मंत्री दारा सिंह चौहान का नाम भी शामिल है. दारा सिंह चौहान फिलहाल कुछ नहीं कह रहे हैं. चर्चा है कि वह केंद्रीय नेतृत्व से मिलेंगे. 2017 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के ऑपरेशन ओबीसी के तहत दारा सिंह चौहान भी बीएसपी से बीजेपी में आए थे, लेकिन माना जा रहा है कि देर-सबेर दारा सिंह चौहान भी स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही एसपी का रुख कर सकते हैं. हालांकि, बीजेपी की पूरी कोशिश है कि दारा सिंह चौहान को रोका जाए.

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वहीं, दारा सिंह चौहान के अलावा धर्म सिंह सैनी का भी नाम सामने आया है. धर्म सिंह, सैनी समुदाय से आते हैं. बता दें कि सैनी ने 2017 के चुनावों में सहारनपुर की नकुड़ सीट से जीत हासिल की थी. मंगलवार को धर्म सिंह सैनी ने वीडियो जारी कर बताया था कि वह फिलहाल बीजेपी में है, लेकिन वीडियो में धर्म सिंह सैनी ने स्वामी प्रसाद मौर्य को अपना बड़ा भाई भी बताया था. ऐसा कहा जा रहा है कि भले ही धर्म सिंह सैनी बीजेपी छोड़ने की बात से इनकार कर रहे हों, लेकिन उनकी एसपी में जाने की संभावना बनी हुई है.

फिलहाल बीजेपी का डैमेज कंट्रोल जारी है. बीजेपी के बड़े नेताओं की मानें तो स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ जाने वाले तमाम वो नेता हैं, जिनका टिकट इस बार कटना तय माना जा रहा था. अब देखना होगा कि बीजेपी का डैमेज कंट्रोल कितना असर दिखाता है और जिन बड़े नेताओं के नाम स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ एसपी में जाने वालों की लिस्ट में जुड़ रहे हैं क्या वह पार्टी रुकते हैं या फिर मौर्य के साथ रुख करते हैं यह जल्द ही तय हो जाएगा. मगर एक बात साफ है कि आगामी विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी इकलौती ऐसी पार्टी नहीं होगी, जो गैर यादव ओबीसी वोट बैंक की दावेदार होगी.

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