अखिलेश-केशव मौर्य के बीच बहस में उतरे सीएम, बोले- असभ्य भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए

अभिषेक मिश्रा

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यूपी की 18वीं विधानसभा के पहले सत्र के तीसरे दिन बुधवार को नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव और प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच तीखी नोक-झोंक हुई. जिसके बाद सदन में जमकर हंगामा हो गया. हंगामा बढ़ता देख सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्थिति को संभालने की कोशिश की.

दरअसल, डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने कहा था कि किसी के पिता जी का कोई पैसा नहीं लगा है. इसपर अखिलेश यादव ने नाराजगी जताई और मामला गर्म हो गया.

केशव मौर्य ने कहा था कि पिछली सरकार में सैफई के विकास के लिए पैसा कहां से लाते थे, क्या आपने विकास के लिए पैसा पिता जी से लाए थे? इस पर अखिलेश ने तल्ख तेवर और गुस्से में जवाब दिया कि हम नहीं लाए थे, क्या तुम लेकर आए थे. इसके बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने मामले को संभालते हुए कहा कि डिप्टी सीएम के लिए गलत शब्द का प्रयोग नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, “एक घंटे से अधिक पूरा सदन नेता प्रतिपक्ष को पूरी शांति से सुनता रहा. इस सदन में सरकार के उपमुख्यमंत्री बात को रख रहे हैं तो ये रनिंग कमेंट्री का क्या मतलब? एक सम्मानित नेता के प्रति इस तरह की टिप्पणी सही नहीं है. सरकार विकास कार्य करवाती है उसे उस उपलब्धि को कहने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.”

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सीएम योगी ने कहा,

“उपमुख्यमंत्री के प्रति इस तरह की भाषा सदन की गरिमापूर्ण नहीं होती. जिस तरह से आचरण करेंगे इसका जवाब मिलना तय है. सहमति-असहमति हो सकती है लेकिन कोई भी असभ्य भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए.”

सीएम योगी आदित्यनाथ

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उन्होंने आगे कहा, “सहमति-असहमति लोकतंत्र की ताकत है. पूरे भाषण को हमने सुना, लेकिन सरकार के वरिष्ठतम नेता के लिए शालीनता का आचरण होना चाहिए.”

सीएम योगी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष की भी बहुत सारी बातें हैं, जिसपर हम आपत्ति कर सकते हैं, लेकिन इस सदन की गरिमा को हमने बरकरार रखा है. उन्होंने कहा कि यह आचरण सदन की कार्यवाही का हिस्सा नही हो सकता.

बता दें कि कि अखिलेश ने केशव प्रसाद मौर्य को लेकर यहां तक कहा कि दूसरों की चिंता करते रहे अपना चुनाव हार गए.

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वहीं डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि समाजवादी पार्टी पिछड़ा विरोधी है, गरीबों की विरोधी है और इसीलिए जनता ने 2014 से लेकर आज तक हर चुनाव में नकार दिया है.

उन्होंने कहा कि अगले 25 साल तक समाजवादी पार्टी विपक्ष में ही बैठेगी, सपा नहीं चाहती थी कि केशव प्रसाद मौर्य दोबारा उप मुख्यमंत्री बने.

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