अचानक राजा भैया को पहचानने से क्यों इनकार करने लगे अखिलेश? इसके पीछे छिपा है सियासी संदेश

कुमार अभिषेक

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रविवार, 28 नवंबर को अखिलेश यादव एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने प्रतापगढ़ पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने जनसत्ता दल लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से जुड़े सवाल पर कुछ ऐसा कह दिया, जिससे सूबे का सियासी पारा चढ़ गया.

दरअसल अखिलेश से पूछा गया था कि ”राजा भैया से इतनी नाराजगी क्यों है आपको?” इस पर अखिलेश ने पत्रकारों से कहा- ”ये कौन हैं, किनका नाम ले रहे हो आप?”

अखिलेश की तरफ से इस तरह की बयानबाजी इस बात का संकेत है कि अखिलेश और राजा भैया के संबंध अब नहीं के बराबर रह गए हैं. पिछले कुछ समय से राजा भैया अपने लिए भी गठबंधन टटोल रहे हैं और जब बीजेपी से बात नहीं बनी तो चर्चा एसपी की तरफ भी निकल पड़ी. दरअसल अखिलेश यादव राजा भैया से बेहद नाराज हैं और इस नाराजगी की अपनी वजह भी है.

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ये है अखिलेश यादव की नाराजगी की वजह

अखिलेश यादव इसलिए नाराज हैं कि उनके जिलाध्यक्ष छविनाथ यादव को प्रतापगढ़ में परेशान किया गया. उन्हें कई बार जेल भेजा गया. प्रतापगढ़ में दलितों में अच्छी पैठ रखने वाले इंद्रजीत सरोज के कार्यक्रमों में भी बाधा पहुंचाई गई और चुनाव के दौरान कई कार्यक्रम नहीं होने दिए गए. समाजवादी पार्टी को लगता है कि इस सब के पीछे कहीं ना कहीं राजा भैया का रोल रहा है. यही नहीं, अखिलेश यादव से तो कोई बात राजा भैया की नहीं हुई, लेकिन उन्होंने सीधे मुलायम सिंह यादव से मुलाकात कर ली.

सियासी वर्चस्व को बचाए रखना राजा भैया के लिए चुनौती

राजा भैया की पहचान एक ठाकुर नेता की है और सूबे में उनकी पहचान कुंडा के राजा के तौर पर है. ऐसे में अखिलेश यादव की ओर से राजा भैया को लेकर दिया गया बयान चर्चा में है और प्रतापगढ़ में लोगों की जुबान पर है.

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उत्तर प्रदेश में पिछले ढाई दशक से प्रतापगढ़ की सियासत को अपने हिसाब से चला रहे राजा भैया के सामने इस बार अपने सियासी वर्चस्व को बचाए रखने की चुनौती है. 2022 के यूपी चुनाव में राजा भैया को न तो एसपी का समर्थन होगा और न ही बीजेपी का वॉकओवर. अखिलेश इस बार कुंडा में राजा भैया के करीबी रहे गुलशन यादव पर दांव लगाने की तैयारी कर रहे हैं. इसी के चलते राजा भैया अपना किला दुरुस्त करने में जुटे हैं. शिवपाल यादव के साथ हुई उनकी मुलाकात को इसी कड़ी में देखा जा रहा है.

राजा भैया के एसपी प्रमुख अखिलेश से भले ही रिश्ते खराब हों, लेकिन मुलायम सिंह और शिवपाल यादव के साथ उनके बेहतर रिश्ते रहे हैं. राजा भैया के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है.

बीजेपी से एसपी तक की सत्ता में रही है राजा भैया की हनक

राजा भैया साल 1993 से लगातार निर्दलीय विधायक चुने जाते आ रहे हैं. वह एसपी और बीजेपी के सहयोग से मंत्री बनते रहे हैं. सूबे में वह बीजेपी के कल्याण सिंह से लेकर राम प्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह की सरकार में मंत्री रहे तो मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल में भी सत्ता में बने रहे. ऐसे में पहले बीजेपी और फिर बाद में एसपी कुंडा में उन्हें समर्थन देकर वॉकओवर देती रही, जिससे राजा भैया आसानी से जीतते रहे हैं. लेकिन, इस बार उनकी सियासी राह कठिन हो गई है.

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दरअसल, 2018 में राज्यसभा के चुनाव में अखिलेश यादव के साथ राजा भैया के रिश्ते बिगड़ गए. इसके बाद राजा भैया ने अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली. 2019 लोकसभा के चुनाव में पार्टी ने कौशांबी और प्रतापगढ़ सीट पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई भी जीत नहीं सका था.

एसपी से रिश्ते बिगड़े तो समीकरण गड़बड़ाया

यूपी में बीजेपी के सत्ता में आने और अखिलेश यादव के साथ राजा भैया के रिश्ते बिगड़ने के साथ प्रतापगढ़ की सियासत भी बदल रही है. राजा भैया के कुंडा और बाबागंज क्षेत्र में यादव मतदाताओं का दबदबा है. राजा भैया ने यादव, पासी, मुस्लिम और ठाकुर वोटरों के सहारे सियासी दबदबा कायम रखा था. वहीं, बीएसपी छोड़कर एसपी में आए पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज और राजा भैया के कभी करीबी रहे गुलशन यादव और छविनाथ यादव उनके धुर विरोधी हो गए हैं.

बीजेपी ने भी राजा भैया के विरोधी शिव प्रकाश मिश्र सेनानी और पूर्व सांसद रत्ना सिंह को अपने खेमे में मिला रखा है. पहले कुंडा नगर पंचायत के चुनाव में गुलशन यादव ने राजा भैया के समर्थक को सियासी मात दी थी. अखिलेश ने छविनाथ को प्रतापगढ़ का एसपी जिलाध्यक्ष बना रखा है, तो कुंडा में एसपी की साइकिल दौड़ाने का जिम्मा इंद्रजीत सरोज पर है. राजा भैया के सामने कुंडा में एसपी नेताओं की तिकड़ी और बीजेपी के दो नेताओं के तालमेल ने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.

कुंडा में यादव वोट इस बार छिटकने का डर

एसपी की सक्रियता से कुंडा सीट पर यादव वोटों के छिटकने का डर राजा भैया को साफ नजर आ रहा है. यही वजह है कि उन्होंने पिछले दिनों कुर्मी वोटों को साधने के लिए जिला पंचायत की कुर्सी पर प्रमोद तिवारी के समर्थन से कुर्मी समुदाय के शख्स को जितवाया. वहीं, अब चुनाव से पहले उन्होंने मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव से मुलाकात की है. इस तरह से वह यादव समुदाय के कुछ वोटों को अपने साथ जोड़ने की कवायद में हैं. हालांकि, अखिलेश के बयानों से यह तो अब साफ हो गया है कि राजा भैया को एसपी का साथ मिलने की संभावना अब बिल्कुल नहीं रह गई है.

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