राहुल की यात्रा भीड़ के लिहाज से सफल, लेकिन भीड़ को वोट में तब्दील करना चुनौती: राजभर

भाषा

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सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा)के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने मंगलवार को कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ भीड़ के लिहाज से सफल है, लेकिन भीड़ को वोट तब्दील करना बड़ी चुनौती है.

सुभासपा अध्यक्ष ने बलिया के रसड़ा में आयोजित पार्टी कार्यकर्ता सम्मेलन के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह टिप्पणी की.

राजभर ने दोहराया कि उन्हें कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के जरिए राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में सम्मिलित होने का निमंत्रण मिला था, लेकिन पार्टी नेताओं के साथ चर्चा के बाद उन्होंने इस यात्रा में शामिल नहीं होने का फैसला किया.

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि ”भारत के पास अपार ताकत है. सरदार पटेल ने भारत को जोड़ा था.भारत न तो टूटा है और न टूटेगा.नेता टूटकर पाला बदला करते हैं.”

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राजभर ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए सवाल किया कि ”कांग्रेस देश में लंबे समय से सत्ता में रही है. कांग्रेस ने सत्ता संभालते समय प्रेम क्यों नहीं बढ़ाया. जो लोग पहले कांग्रेस को वोट देते थे, आज वही भाजपा में हैं.”

सुभासपा अध्यक्ष ने कहा कि वह राजनीति में झूठ नहीं बोलते. उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में गठबंधन न करने के कारण ही कांग्रेस विधानसभा के पिछले चुनाव में एक सीट पर सिमट गई.

राजभर ने कहा कि यह गठबंधन का युग है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार गठबंधन की देन है, गठबंधन के कारण ही समाजवादी पार्टी (सपा) उत्तर प्रदेश में 47 सीट से 125 सीट पर पहुंच गई है.

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उन्होंने भाजपा से गठबंधन को लेकर पूछे जाने पर कहा कि राजनीति में कोई स्थाई दोस्त व दुश्मन नहीं होता है.

राजभर ने कहा कि किसी ने भी उत्तर प्रदेश में सपा व बहुजन समाज पार्टी ( बसपा) , बिहार में नीतीश कुमार व लालू प्रसाद यादव तथा कश्मीर में भाजपा व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के मध्य गठबंधन की कल्पना नहीं की थी.

उन्होंने जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा बहुत मजबूत स्थिति में है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पटखनी देने की ताकत किसी दल में नहीं है.

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पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में प्रभाव वाले एक मजबूत पिछड़े नेता राजभर ने राज्य में 2017 का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ लड़ा था, लेकिन बाद में अलग हो गए और सपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो गए.

राजभर ने 2022 का विधानसभा चुनाव सपा के साथ मिलकर लड़ा और छह सीटें जीतीं, लेकिन बाद में अलग हो गए। सत्तारूढ़ भाजपा के साथ ओम प्रकाश राजभर की निकटता हाल के दिनों में विशेष रूप से राष्ट्रपति चुनाव के दौरान दिखाई दी है.

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