69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण का मामला: अनुप्रिया पटेल ने एनडीए की बैठक में उठाया मुद्दा

कुमार अभिषेक

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69000 शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण का मामला अब सियासी तूल पकड़ चुका है. उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती मामले में आरक्षण में हुई कथित गड़बड़ी के खिलाफ ओबीसी समाज में आंदोलन की स्थिति बनी हुई है. ओबीसी अभ्यर्थियों के दावों के मुताबिक, ओबीसी कोटे में सामान्य वर्ग के लोगों की भर्ती से इस मामले ने तूल पकड़ा है. अब यूपी में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के सहयोगी दलों ने भी इस मुद्दे पर पार्टी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है.

अपना दल (सोनेलाल) के सूत्रों की मानें तो एनडीए की बैठक में केंद्रीय मंत्री और पार्टी अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने यह मुद्दा प्रधानमंत्री, सरकार के शीर्ष नेताओं और मंत्रियों के सामने उठाया. मिली जानकारी के अनुसार, बैठक में यह कहा गया कि बीजेपी इस मुद्दे का हल निकालने की तलाश में है.

दरअसल, यह मुद्दा सिर्फ 69000 छात्रों के आरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पिछड़े वर्गों में बीजेपी के ‘आरक्षण विरोध’ को लेकर भी पैठ बना गया है. बता दें कि इस मामले को अपना दल लगातार सरकार के सामने उठा रही थी और अब इसे एनडीए की बैठक में भी उठाया गया है. आगामी यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी भी बचाव की मुद्रा में है. खबर है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के नोटिस के बाद सरकार इस मामले के समाधान पर सोचने को मजबूर है.

वहीं, यूपी सरकार का मानना है कि इस मामले में कोई गड़बड़ी नहीं हुई थी. 21% एससी-एसटी और 27% ओबीसी आरक्षण यथावत था और उन्हें इस 69000 शिक्षक भर्ती में भी आरक्षण का लाभ मिला, लेकिन बचे हुए पदों में मेधा की सूची में आए छात्रों के आरक्षण रोस्टर को लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य सरकार से सवाल पूछे थे, जिसके बाद यह मामला तूल पकड़ गया.

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बहरहाल, यह मामला सरकार के ‘गले की फांस’ बन गया है. पिछड़े वर्गों के युवाओं में तेजी से फैल रहे इस मामले के बाद अब सरकार इसके समाधान पर विचार कर सकती है.

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